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झारखंड हाई कोर्ट में फिजिकल सुनवाई शुरू न होने से सभी वर्ग परेशान, गहरा रहा आर्थिक संकट - Physical court did not start in Jharkhand

कोरोना महामारी के चलते झारखंड हाई कोर्ट में अभी तक फिजिकल कोर्ट शुरू नहीं हो पाया है. जिससे सभी वर्ग परेशान हो रहे हैं. खासकर कोर्ट के भरोसे रोजी रोटी कमाने वालों के सामने आर्थिक संकट गहराता जा है. यही हाल टाइपिस्ट व वकीलों का है. सभी ने एक स्वर में जल्द से जल्द फिजिकल कोर्ट शुरू करने की मांग की है.

हाई कोर्ट
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Published : Feb 17, 2021, 3:37 PM IST

Updated : Feb 17, 2021, 7:42 PM IST

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट में फिजिकल कोर्ट अभी तक प्रारंभ नहीं हुआ है इसको लेकर कई तरह की परेशानियां अधिवक्ताओं के समक्ष उत्पन्न हो रही हैं, मामले की सुनवाई अगर थोड़ी देर की रहती है तब तो किसी तरह काम निकल जाता है, लेकिन मामला अगर बड़ा होता है.

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सुनवाई घंटों होनी होती है, उस दौरान नेटवर्क का प्रॉब्लम आ जाता है, आवाज का प्रॉब्लम आ जाता है, जिससे कई तरह की परेशानियां सुनवाई के दौरान उत्पन्न होती हैं और लंबी अवधि के मामलों पर सुनवाई ठीक से नहीं हो पाती है.

जिसके कारण छोटे-छोटे मामले पर तो सुनवाई होती है लेकिन जो लंबी अवधि की सुनवाई वाले आपराधिक अपील याचिका, सिविल याचिका, इलेक्शन पिटिशन एवं इनकी जैसी याचिकाओं की सुनवाई में काफी कमी हुई है.

अधिवक्ताओं का कहना है कि, फिजिकल कोर्ट में फेस टू फेस कम्युनिकेशन जो होता है, वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नहीं हो पाता है. फेस टू फेस कम्युनिकेशन अगर नहीं होता है तो न्याय भी हैंपर (बाधित) होता है. सुनवाई के दौरान काफी केस में किताबों का दृष्टांत न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाता है, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा नहीं पेश किया जा सकता है, कुछ ऐसे भी तथ्य होते हैं जो उनके समक्ष पेश किए जाते हैं, जिसे देखने के बाद न्याय में सुविधा होती है.

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फिजिकल रूप से चल रहे अदालत में जब कोई याचिकाकर्ता याचिका दायर करता है, तो प्रतिवादी उसका जवाब देता है, सभी पक्ष अपनी-अपनी तरफ से कई संबंधित मामले में पूर्व में विभिन्न अदालतों में दिए गए आदेश की प्रति अपनी याचिका की सुनवाई के दौरान लगाते हैं.

न्याय की कई किताबों में दिए गए दृष्टांत को न्यायाधीश के समक्ष पेश करते हैं, इसके लिए फिजिकल कोर्ट में वह किताबें और अपने पक्ष में दिए गए आदेश की कॉपी अपने साथ ले जाते हैं, लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चल रहे मामले में ऐसा करना संभव नहीं है.

फिजिकल कोर्ट नहीं चलने से वकीलों के जो क्लर्क हैं, उनका कहना है कि, उन्हें भी कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, आर्थिक संकट से भी जूझना पड़ रहा है. आर्थिक संकट से जूझने के कारण कई लोगों की मौत भी हो गई है.

नहीं हो रही आमदनी

फिजिकल कोर्ट चलते रहने से उन्हें कई काम मिलते हैं जिससे उन्हें तत्काल कुछ पैसा मिलता है, लेकिन फिजिकल कोर्ट बंद होने के बाद उन्हें कुछ ही केस मिलते हैं फाइल करने के लिए, जिससे काफी कम आमदनी होती है.

हाई कोर्ट के बाहर जो प्राइवेट टाइपिस्ट हैं उनका कहना है कि, उन्हें फिजिकल कोर्ट न होने के कारण कई संकटों का सामना करना पड़ रहा है, उनका कहना है कि जब फिजिकल कोर्ट चलता है, लोग आते हैं याचिका फाइल करने के लिए तो वहीं पर उनसे टाइप करवाया जाता है और तुरंत पैसे की आमदनी होती है, लेकिन फिजिकल कोर्ट नहीं चलने के कारण वहां बहुत कम लोग आते हैं,

जिससे उनका जीवन यापन के लिए जो जरिया है वह कम चलता है और काफी संकटों का सामना करना पड़ता है. वह भी लगातार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. इसलिए उनका मानना है कि शीघ्र फिजिकल कोर्ट शुरू हो.

दुकानदारों के सामने आर्थिक संकट

हाई कोर्ट के गेट के पास गरीब छोटे दुकानदार जो ठेला और खोमचा लगाते हैं उनका कहना है कि, उनके समक्ष भी आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है, पिछले दिन तो उनके आय का जरिया ही बंद हो गया था.

सरकारी राशन के भरोसे किसी भी तरह से वे लोग अपना गुजारा कर रहे थे, आज भी वे लोग कुछ-कुछ कमाने के लिए भर दिन लगे रहते हैं लेकिन हाई कोर्ट फिजिकल नहीं होने के कारण वहां लोगों की आवाजाही बहुत कम है जिसके कारण उसकी आमदनी काफी कम ही है.

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इनके अलावा फोटो कॉपी करने वाले जो दुकानदार हैं उनका कहना है कि उनकी भी हालत खस्ता है. उनके भी समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है.

हाईकोर्ट के बगल में कानून की किताब बेचने वाले दुकानदार भी इसी तरह के संकट का सामना कर रहे हैं, सभी का एक सुर में कहना है कि, फिजिकल कोर्ट में लोग आते हैं तो उनका सामान बिकता है जिससे उन्हें आमदनी होती है लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अदालत चलने से लोग यहां बहुत कम आते हैं जिसके कारण यहां पर कोई बिक्री नहीं हो पाती है, सबकी एक सुर में मांग है कि फिजिकल कोर्ट शीघ्र ही शुरू हो जाए.

Last Updated : Feb 17, 2021, 7:42 PM IST

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