रांचीः झारखंड हाई कोर्ट में फिजिकल कोर्ट अभी तक प्रारंभ नहीं हुआ है इसको लेकर कई तरह की परेशानियां अधिवक्ताओं के समक्ष उत्पन्न हो रही हैं, मामले की सुनवाई अगर थोड़ी देर की रहती है तब तो किसी तरह काम निकल जाता है, लेकिन मामला अगर बड़ा होता है.
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सुनवाई घंटों होनी होती है, उस दौरान नेटवर्क का प्रॉब्लम आ जाता है, आवाज का प्रॉब्लम आ जाता है, जिससे कई तरह की परेशानियां सुनवाई के दौरान उत्पन्न होती हैं और लंबी अवधि के मामलों पर सुनवाई ठीक से नहीं हो पाती है.
जिसके कारण छोटे-छोटे मामले पर तो सुनवाई होती है लेकिन जो लंबी अवधि की सुनवाई वाले आपराधिक अपील याचिका, सिविल याचिका, इलेक्शन पिटिशन एवं इनकी जैसी याचिकाओं की सुनवाई में काफी कमी हुई है.
अधिवक्ताओं का कहना है कि, फिजिकल कोर्ट में फेस टू फेस कम्युनिकेशन जो होता है, वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नहीं हो पाता है. फेस टू फेस कम्युनिकेशन अगर नहीं होता है तो न्याय भी हैंपर (बाधित) होता है. सुनवाई के दौरान काफी केस में किताबों का दृष्टांत न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाता है, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा नहीं पेश किया जा सकता है, कुछ ऐसे भी तथ्य होते हैं जो उनके समक्ष पेश किए जाते हैं, जिसे देखने के बाद न्याय में सुविधा होती है.
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फिजिकल रूप से चल रहे अदालत में जब कोई याचिकाकर्ता याचिका दायर करता है, तो प्रतिवादी उसका जवाब देता है, सभी पक्ष अपनी-अपनी तरफ से कई संबंधित मामले में पूर्व में विभिन्न अदालतों में दिए गए आदेश की प्रति अपनी याचिका की सुनवाई के दौरान लगाते हैं.
न्याय की कई किताबों में दिए गए दृष्टांत को न्यायाधीश के समक्ष पेश करते हैं, इसके लिए फिजिकल कोर्ट में वह किताबें और अपने पक्ष में दिए गए आदेश की कॉपी अपने साथ ले जाते हैं, लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चल रहे मामले में ऐसा करना संभव नहीं है.
फिजिकल कोर्ट नहीं चलने से वकीलों के जो क्लर्क हैं, उनका कहना है कि, उन्हें भी कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, आर्थिक संकट से भी जूझना पड़ रहा है. आर्थिक संकट से जूझने के कारण कई लोगों की मौत भी हो गई है.