रांची: एक व्यक्ति की पहचान उसके नाम से होती है, वैसे ही राजनीतिक पार्टियों की पहचान और वजूद के लिए चुनाव चिन्ह को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि चुनाव चिन्ह किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए उसकी पहचान मानी जाती है.
देश और राज्य के चुनाव में पार्टियां अपने चुनाव चिन्ह के प्रचार-प्रसार पर ज्यादा जोर देती है, सभी पार्टियां अपने चुनाव चिन्ह को लेकर गंभीरता दिखती है और लोगों से अपने विशेष चुनाव चिन्ह पर मतदान करने की अपील भी करती है. सभी पार्टियों के नेता अपने भाषण में चुनाव चिन्ह पर जोर देते हुए लोगों से मतदान करने की अपील करते हैं. इसी विषय पर ईटीवी भारत की टीम ने कुछ लोगों से बातचीत की और उनसे जानने का प्रयास किया कि आम लोगों के लिए चुनाव चिन्ह कितना महत्व रखता है.
लोगों ने चुनाव चिन्ह को लेकर अपनी-अपनी राय दी
लोगों का मानना है कि झारखंड के सुदूर इलाकों में आज भी अशिक्षित लोगों की संख्या काफी मात्रा में है और लोग मतदान के समय अपने प्रत्याशियों और पार्टियों का नाम तक नहीं पढ़ पाते, इसलिए चुनाव चिन्ह लोगों के लिए काफी महत्व रखता है. वह चुनाव चिन्ह देखकर ही वोट डालते हैं.
क्षेत्रीय पार्टियों के चिन्ह की नहीं है जानकारी
चुनाव चिन्ह को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब लोगों से बात की तो कई ऐसे लोग मिले जिन्हें आज भी राज्य के प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी नहीं है, हालांकि लोगों से बातचीत के दौरान यह देखा गया कि लोगों के बीच नेशनल पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी है. पहली बार मतदान कर रहे युवक से ईटीवी भारत की टीम ने जब बात की और चुनाव चिन्ह के बारे में पूछा तो राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के चुनाव चिन्ह से अपरिचित दिखे, तो वहीं कई स्थानीय भी जेएमएम, जेवीएम, राजद और आजसू जैसे प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह से अनजान थे.