रांची: जिस तरह से पूरे देश में लगातार पेट्रोल डीजल के दाम में बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में लोगों के लिए पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहन मेनटेन करना मुश्किल नहीं नामुमकिन होता जा रहा है. झारखंड की बात करें तो राजधानी रांची सहित पूरे राज्य में पेट्रोल की कीमत करीब 108 रुपये प्रति लिटर तक हो चुकी है तो वही डीजल भी करीब 100 रुपये प्रति लिटर हो गया है. लोग वैकल्पिक व्यवस्था चाहते हैं ताकि पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमत से उन्हें राहत मिले. झारखंड में लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की इच्छा जता रहे हैं.
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झारखंड में पॉलिसी के बिना लोगों को इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदना मुश्किल हो रहा है. इसके पीछे वजह है कि सरकार झारखंड में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी अभी तक लागू नहीं कर पाई है. जिस वजह से कई लोग चाह कर भी इलेक्ट्रिक वाहन नहीं खरीद पा रहे हैं. वहीं बिजली विभाग में सरकार की तरफ से मुहैया कराई गयी इलेक्ट्रिक व्हीकल के चालक मनोहर बताते हैं कि यह गाड़ी बहुत ही आरामदायक है. पेट्रोल और डीजल की तुलना में इस गाड़ी को चलाना भी आसान है. अगर चार्जिंग प्वाइंट हर जिले में लग जाए तो इस गाड़ी से लंबा सफर भी किया जा सकता है.
राजधानी रांची के बरियातू स्थित टाटा शोरुम के कर्मचारी ने बताया पिछले दो साल की तुलना में देखें तो इस वर्ष इलेक्ट्रिक व्हीकल की डिमांड बढ़ी है. लोग ज्यादा से ज्यादा इसकी इंक्वायरी कर रहे हैं. वासुदेव टाटा मोटर्स शोरूम में कार्यरत सेल्स मैनेजर श्वेता प्रियदर्शनी बताती हैं कि झारखंड में अगर सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को लागू कर दिया जाए तो गाड़ियों की डिमांड और भी ज्यादा बढ़ जाएगी.
टाटा कंपनी के बिहार झारखंड के स्टेट मैनेजर प्रशांत शेखर बताते हैं कि निश्चित रूप से पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक व्हीकल के तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है. लोग चाहते हैं कि उन्हें पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमत से राहत मिले और सस्ती दर पर वो सफर कर सके. लेकिन झारखंड में कुछ कारणों से लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदने में असमर्थ हैं. प्रशांत शेखर ने बताया कि वर्तमान में टाटा कंपनी के द्वारा ही सबसे कम दर में इलेक्ट्रिक व्हीकल उपलब्ध है. जिसकी कीमत करीब 12 लाख से शुरू ही होती है.
वहीं अन्य कंपनियों की बात करें तो इलेक्ट्रिक से चलने वाले साधारण फोर व्हीलर वाहन की कीमत 25 लाख से ऊपर है. इसलिए लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने से परहेज कर रहे हैं. वहीं उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी लागू नहीं होने के कारण चार्जिंग की व्यवस्था भी दुरुस्त नहीं कराई गयी है. जिस वजह से लोगों के मन में संदेह है कि अगर वो लंबी दूरी का सफर इलेक्ट्रिक वाहन से करते हैं तो उन्हें चार्जिंग की समस्या से जूझना पड़ सकता है.
टाटा मोटर्स के स्टेट मैनेजर प्रशांत शेखर ने बताया कि अगर इलेक्ट्रिक वाहन नीति झारखंड में लागू होती है तो वाहन खरीदने पर लोगों को कई तरह की रियायत मिलेगी और लोग महंगी गाड़ी भी आसानी से सस्ते दर पर खरीद पाएंगे. झारखंड में इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने के लिए पहले से ही एनर्जी एफिशिएंसी सर्विस लिमिटेड (EESL) को जिम्मेदारी दी गयी है. जिससे लोग इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति आकर्षित हो सकें.
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ईईएसएल (EESL) के झारखंड हेड राकेश झा बताते हैं कि झारखंड में इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के सभी टोल नाको पर फिलहाल चार्जिंग पॉइंट लगाए जाएंगे. इसके अलावा भी हाईवे के दोनों तरफ कुछ-कुछ दूरी के अंतराल पर चार्जिंग पॉइंट लगाने की व्यवस्था की जा रही है. जिससे लंबा सफर करने वाले लोगों को अपने इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करने में समस्या ना झेलनी पड़े. उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहन नीति राज्य में लागू होने के बाद कई तरह की रियायत ग्राहकों को दी जाएगी ताकि लोग इलेक्ट्रिक वाहन को बिना किसी चिंता के खरीद सकें.
उन्होंने कहा कि आज की तारीख में झारखंड के कई ऐसे ग्राहक हैं जो पश्चिम बंगाल और ओड़िशा जैसे राज्यों से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदते हैं. क्योंकि वहां पर उन्हें सस्ती दर में अच्छी गाड़ियां मिल जाती हैं. लेकिन झारखंड में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी लागू नहीं होने के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत ज्यादा चुकानी पड़ती है. ईईएसएल (EESL) के झारखंड हेड राकेश झा ने बताया कि उम्मीद है कि जल्द से जल्द झारखंड में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी लागू हो जाएगी ताकि अन्य राज्यों की तरह झारखंड के भी लोग आराम से वाहन खरीद सके.
पूरे देश में अब इलेक्ट्रिक वाहनों का ट्रेंड लगातार बढ़ रहा है. इसी को देखते हुए देश के 14 राज्यों में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी लागू कर दी गयी है. जिसमें दिल्ली, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, गुजरात, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा जैसे पड़ोसी राज्यों ने भी इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को मान्यता दे दी है. जिससे लोग पेट्रोल-डीजल की गाड़ियों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करें और वातावरण को स्वच्छ रखें.
इसको लेकर पर्यावरणविदों का कहना है कि पेट्रोल और डीजल से चलने वाले गाड़ियों से निकलने वाले धुंए के कारण वातावरण अत्यधिक प्रभावित होता है. ऐसे में अगर पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों की संख्या में कमी लाई जाए. उसकी जगह में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग किया जाए तो झारखंड के दूषित वातावरण को फिर से स्वच्छ किया सकता है. पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमत से राहत के साथ-साथ वातावरण को स्वच्छ रखने में भी इलेक्ट्रिक व्हीकल का बहुत महत्व है. अब जरूरत है कि झारखंड सरकार जल्द से जल्द इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को लागू करे ताकि झारखंड के भी लोग अपने राज्य से वाहन खरीदें और राज्य सरकार को राजस्व का लाभ मिल सके.