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कागजों में सिमटा राइट टू सर्विस कानून, लोग निगम कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर

झारखंड में राइट टू सर्विस यानी सेवा का अधिकार कानून कागजों पर ही सिमटा नजर आ रहा है. रांची नगर निगम कार्यालय में टैक्स जमा करने आए लोग कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं. उनके लंबे इंतजार के बाद पता लगता है कि सरकारी बाबू ही नहीं आए. ऐसा ही हाल कई सरकारी दफ्तरों में देखा जा सकता है.

people are not getting appropriate profit of right to service act in ranchi
रांची: कागज पर सिमटा राइट टू सर्विस कानून, नगर निगम कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर लोग

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Published : Apr 12, 2021, 3:21 PM IST

Updated : Apr 12, 2021, 7:45 PM IST

रांची: राज्य में राइट टू सर्विस यानी सेवा का अधिकार कानून कागजों पर ही सिमटा हुआ नजर आ रहा है. चिलचिलाती गर्मी में अपने छोटे-मोटे काम करवाने पहुंच रहे लोगों की परेशानी सुनने वाला कोई नहीं है. सरकारी बाबूओं के उदासीन रवैया के चलते यह नियम दम तोड़ने लगा है. कोई जन्म प्रमाण पत्र लेने के लिए परेशान है, तो कोई जाति प्रमाण पत्र के लिए. इनकी परेशानी जानकर आप खुद जान जाएंगे कि लोगों को सरकारी दफ्तरों में किस कदर चक्कर लगाने पड़ते हैं, जबकि लोगों की सुविधा के लिए बना राइट टू सर्विस एक्ट के तहत सभी कार्यों को निर्धारित समय में पूरा करने का प्रावधान है.

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राइट टू सर्विस एक्ट के तहत निर्धारित समय सीमा

15 दिन - आय प्रमाण पत्र

15 दिन - जाति प्रमाण पत्र

15 दिन - आवासीय प्रमाण पत्र

45 दिन - जमीन म्यूटेशन

21 दिन - सामाजिक सुरक्षा पेंशन

30 दिन - नया बिजली कनेक्शन

3 दिन - पोस्टमार्टम रिपोर्ट

30 दिन - परिवहन विभाग

30 दिन - जन वितरण प्रणाली दुकान लाइसेंस

60 दिन - राशन कार्ड

30 दिन - क्रेशर चलाने का लाइसेंस

60 दिन - शहरी क्षेत्र में आवासीय भवन का नक्शा

60 दिन - शहरी क्षेत्र में कामर्शियल बिल्डिंग

30 दिन - शहरी क्षेत्र में मोबाइल टावर लगाने का लाइसेंस

30 दिन - मल्टीप्लेक्स सिनेमाघर के लाइसेंस

ध्यान देने वाली बात ये है कि आम लोगों की परेशानी को दूर करने के लिए ही राज्य में राइट टू सर्विस एक्ट 2011 को लागू किया गया था. इसके बाबजूद सरकारी बाबूओं के रवैये में बदलाव नहीं आया. अब हालात ये हैं कि इस कानून का जितना लाभ मिलना चाहिए था, वो नहीं मिल पाया और आम लोग परेशान होकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते फिर रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि कानून का अगर सही तरीके से पालन ना हो, तो आम लोगों को इसका लाभ कैसे मिलेगा.

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सरकार के मंत्री भी समझते हैं परेशानी

ऐसा नहीं कि सरकार आम लोगों की परेशानी को नहीं समझ रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कई बार सिस्टम को दुरुस्त कर आम लोगों की समस्या का समाधान तेजी से करने का निर्देश दे चुके हैं. इसके बाबजूद सरकारी बाबूओं के कान पर जू तक नहीं रेंगती नजर आ रही है और हालात जस के तस बने रहते हैं. मंत्री सत्यानंद भोक्ता भी मानते हैं कि आम लोग परेशान हैं, जिसके लिए सरकार गंभीर है. उन्होंने कहा है कि मधुपुर विधानसभा चुनाव के बाद निचले स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा.

Last Updated : Apr 12, 2021, 7:45 PM IST

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