झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

अमित शाह की मौजूदगी में होने वाली बैठक में सुलझेगा झारखंड-बिहार के बीच पेंशन देनदारी का मामला!

17 दिसंबर को पूर्वी क्षेत्रीय अंतरराज्यीय परिषद की बैठक (Eastern Regional Interstate Council) होने वाली है. इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हो रहे हैं. यहां पर झारखंड-बिहार के बीच पेंशन विवाद (Pension dispute between Jharkhand Bihar) एक बार फिर उठेगा.

Home Minister Amit Shah
Home Minister Amit Shah

By

Published : Dec 16, 2022, 6:38 PM IST

रांची: कोलकाता में 17 दिसंबर को होने वाली पूर्वी क्षेत्रीय अंतरराज्यीय परिषद की बैठक (Eastern Regional Interstate Council) में झारखंड-बिहार के बीच पेंशन विवाद (Pension dispute between Jharkhand Bihar) एक बार फिर उठेगा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में होने वाली यह बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण है. झारखंड ने राज्य हित और अंतरराज्यीय सहयोग-मतभेद के कई अन्य मुद्दे उठाने की तैयारी की है. इनमें नक्सलवाद, पानी का बंटवारा जैसे विषय भी शामिल हैं. पूर्वी क्षेत्रीय अंतरराज्यीय परिषद में पांच राज्य बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड और सिक्किम शामिल हैं. यह बैठक पश्चिम बंगाल के राज्य सचिवालय नबान्न के सभागार में आयोजित होगी. मेजबान राज्य होने के नाते बैठक की अध्यक्षता ममता बनर्जी करेंगी. बैठक में झारखंड की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन या उनके प्रतिनिधि के तौर पर किसी मंत्री के भाग लेने की संभावना है.

ये भी पढ़ें-पेंशन की देनदारी पर 23 वर्षों से चल रहा झारखंड-बिहार का झगड़ा, केंद्र करा सकता है द्विपक्षीय वार्ता

झारखंड सरकार पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के जरिए बिहार के साथ पेंशन देनदारी का जो विवाद सुलझाना चाहती है, वह सालों पुराना है. बिहार की सरकार पेंशन मद में झारखंड को चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्जदार बता रही है, जबकि झारखंड का कहना है कि बिहार उसपर अनुचित और अतार्किक तरीके से बोझ लाद रहा है. इसे लेकर झारखंड की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर रखा है. चूंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने में वक्त लग सकता है, इसलिए सरकार क्षेत्रीय परिषद के जरिए इसका समाधाना चाहती है.

15 नवंबर 2000 को बिहार के बंटवारे के बाद जब झारखंड अलग राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया था, उस वक्त दोनों राज्यों के बीच दायित्वों-देनदारियों के बंटवारे का भी फामूर्ला तय हुआ था. संसद से पारित राज्य पुनर्गठन अधिनियम में जो फार्मूला तय हुआ था, उसके अनुसार जो कर्मचारी जहां से रिटायर करेगा वहां की सरकार पेंशन में अपनी हिस्सेदारी देगी. जो पहले सेवानिवृत्त हो चुके थे, उनके लिए यह तय किया गया कि दोनों राज्य कर्मियों की संख्या के हिसाब से अपनी-अपनी हिस्सेदारी देंगे.

झारखंड के साथ ही वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से कटकर उत्तराखंड एवं मध्य प्रदेश से कटकर छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ था. इन राज्यों के बीच पेंशन की देनदारियों का बंटवारा उनकी आबादी के अनुपात में किया गया था, जबकि झारखंड-बिहार के बीच इस बंटवारे के लिए कर्मचारियों की संख्या को पैमाना बनाया गया. झारखंड सरकार की मांग है कि उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड के लिए भी पेंशन देनदारी का निर्धारण जनसंख्या के हिसाब से हो. कर्मचारियों की संख्या के हिसाब से पेंशन की देनदारी तय कर दिए जाने की वजह से झारखंड पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है. झारखंड का यह भी कहना है कि उसे पेंशन की देनदारी का भुगतान वर्ष 2020 तक के लिए करना था. इसके आगे भी उसपर देनदारी का बोझ डालना अनुचित है. झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में भी इन तर्कों को आधार बनाया है. गौरतलब है कि यह विवाद पूर्वी क्षेत्रीय अंतरराज्यीय परिषद की बैठकों में भी दो बार उठाया जा चुका है, लेकिन इसका समाधान अब तक नहीं हो पाया है.

इनपुट-आईएएनएस

ABOUT THE AUTHOR

...view details