झारखंड दौरे पर पहुंची पार्लियामेंट्री कमेटी रांची:इन दिनों ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के प्रावधान में संशोधन को ध्यान में रखते हुए झारखंड समेत देश के विभिन्न राज्यों से सुझाव लिये जा रहे हैं. इसी उद्देश्य से ऑफिस और प्रॉफिट मामलों की संयुक्त संसदीय समिति शनिवार को झारखंड पहुंची है. 15 सदस्यीय इस कमेटी के अध्यक्ष डॉ सत्यपाल सिंह हैं, जिनके नेतृत्व में टीम ने पहले दिन रांची स्टेशन रोड स्थित होटल बीएनआर चाणक्य में राज्य सरकार के मुख्य सचिव और लॉ सेक्रेटरी के साथ बैठक की.
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समिति के अध्यक्ष डॉ सत्यपाल सिंह के नेतृत्व में हुई इस बैठक में सांसद विजय कुमार हांसदा और श्याम सिंह यादव सदस्य के रूप में मौजूद थे. करीब ढाई घंटे तक चली बैठक के बाद संसदीय समिति के अध्यक्ष सत्यपाल सिंह ने कहा कि विधायकों और सांसदों के लिए बनाए गए ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के प्रावधान को लेकर देश के अलग-अलग राज्यों से सुझाव लिए जा रहे हैं. जिसमें राज्य सरकार अपने सुझाव लिखित रूप में हमारे सामने रखेगी. सभी राज्यों से सुझाव प्राप्त करने के बाद समिति एक समेकित रिपोर्ट तैयार करेगी और इसे संसद के समक्ष प्रस्तुत करेगी, ताकि इसमें संशोधन करने में मदद मिल सके.
झारखंड से पहले कमेटी कर चुकी है कई राज्यों का दौरा:बैठक में सदस्य के रूप में शामिल हुए सांसद विजय कुमार हांसदा ने कहा कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट अधिनियम 1959 में संशोधन को लेकर राज्यों का क्या सुझाव है. यह समिति इसका पता लगाने का प्रयास कर रही है. जिसके लिए यह संयुक्त संसदीय समिति झारखंड से पहले कई राज्यों का दौरा कर चुकी है.
संसदीय समिति में ये हैं शामिल : संसदीय समिति 10 अक्टूबर तक झारखंड दौरे पर है. संसदीय समिति रविवार को रजरप्पा जायेगी. सोमवार यानी 9 अक्टूबर को होटल बीएनआर में सीसीएल, सेंट्रल यूनिवर्सिटी और देवघर एम्स के अधिकारियों से सुझाव लिये जायेंगे. गौरतलब है कि इस संसदीय समिति में 15 सदस्य हैं. जिसके अध्यक्ष सत्यपाल सिंह हैं. इसके अलावा इस समिति में लोकसभा के विनोद चावड़ा, रेनी बोहनन, विजय कुमार हांसदा, अपराजिता षाड़ंगी, डॉ मनोज राजोड़िया, महेंद्र सिंह सोलंकी, बालशौरि वल्लभनेनी, श्याम सिंह यादव, एलएस तेजस्वी सूर्या शामिल हैं. राज्यसभा के महेश जेठमलानी, कविता पाटीदार, मस्तान राव बीड़ा, सुलता देव और डॉ. कनोमोझी शामिल हैं.
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सुर्खियों में रहा है झारखंड:विधायकों और सांसदों पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के आरोप लगते रहे हैं. यह मामला पिछले साल झारखंड में काफी सुर्खियों में रहा था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगा ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का आरोप रांची से लेकर दिल्ली तक मीडिया की सुर्खियों में रहा. ऐसे में 1959 में बने एक्ट और उसके प्रावधानों में संशोधन को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हैं.