रांची: शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ परीक्षा पे चर्चा की. इस दौरान उन्होंने गैजेट के दुष्परिणाम पर चिंता जताते हुए कहा कि सबसे पहले निर्णय करें कि आप स्मार्ट हैं या गैजेट स्मार्ट हैं. जब आप गैजेट को स्मार्ट मान लेते हैं, आपकी गलती वहीं से शुरू हो जाती है. आपकी स्मार्टनेस जितना सही होगा आप गैजेट का इस्तेमाल उसी तरह कर सकते हैं. आज के समय के लिए बहुत बड़ी समस्या गैजेट बन गई है. लोग 6 घंटे फोन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में गैजेट ने लोगों को गुलाम बना कर रखा है. टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल करने के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि अभिभावक अपने घर से इसे जोन फ्री के रुप में शुरुआत कर सकते हैं.
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राज्यपाल और सांसद हुए शामिल: राज्यपाल रमेश बैस ने रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में विद्यार्थियों के साथ 'परीक्षा पे चर्चा 2023’ कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा छात्र-छात्राओं के साथ किये गये संवाद को देखा. पीएम मोदी के इस कार्यक्रम का रांची के गुरुनानक स्कूल में भी सीधा प्रसारण किया गया. इस मौके पर रांची सांसद संजय सेठ के अलावे बड़ी संख्या में स्कूली छात्र छात्रा मौजूद थे.
आलोचना और आरोप की बारीकियों को बताया:2018 से पीएम मोदी परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम कर रहे हैं. इस दौरान छात्रों से वे सीधा संवाद कर उनके सवालों का जवाब देते हैं. इस साल करीब 25 लाख प्रश्न आए थे जिसमें से स्क्रूटनी करके सवाल पूछे गए जिनका जवाब पीएम ने दिया. तनाव मुक्त होकर परीक्षा देने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों और शिक्षकों ने प्रधानमंत्री से कई रोचक सवाल किए, जिसका जवाब पीएम ने बड़े ही बेबाकी के साथ दिया.
चीटिंग पर दिमाग न लगाने की नसीहत: परीक्षा में होने वाले चीटिंग और नकल से बचने के लिए पूछे गए सवाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चोरी, नकल पहले से चलती आ रही है पहले छुपकर करते और बिना डरे बताते हैं ट्यूशन टीचर भी इस बारे में बच्चों को बताते हैं. बच्चे पढ़ाई से ज्यादा नकल करने के तरीकों को ढूंढते हैं ऐसे बच्चे बड़े क्रिएटिव होते हैं. उन्हें अपना कीमती समय मेहनत करने में लगाना चाहिए. एक परीक्षा में पास होने का मतलब जिंदगी में पास होना नहीं है. नकल से जिंदगी नहीं बनती.
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सफलता के लिए टाइम टेबल बहुत जरूरी: टाइम टेबल कैसे ठीक हो इस पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि काम ना करने से कन्फ्यूजन होता है, थकान महसूस होती है कि काम कहां से कैसे शुरू करें, एक बार जब काम शुरू करते हैं तो समझ में आने लगता है. सबसे कठिन विषयों को ज्यादा समय दें फिर उसी तरह सभी विषयों को प्राथमिकता के साथ पढ़ाई करें. जोर-जबर्दस्ती के साथ पढ़ाई ना करें. पीएम ने अपनी मां से टाइमटेबल का अनुभव लेने की सीख देते हुए बच्चों से कहा कि उन्हें हर काम के लिए समय का किस तरह से मां को पता रहता है इसे समझना चाहिए.
पीएम की शिक्षकों को सलाह: पीएम मोदी ने शिक्षकों को भी कई तरह के सलाह दिए. उन्होंने कहा कि मैं शिक्षकों की आलोचना नहीं करना चाहता. आजकल शिक्षक मोबाइल में सिलेबस रखते हैं छात्रों को सवाल पूछने का मतलब यह नहीं कि वह आपकी क्लास ले रहा है. सवाल पूछने का मतलब है उसे जानने की जिज्ञासा, उसे रोकिए मत, छात्रों को जवाब तत्काल नहीं भी दें तो उसे समय लेकर बाद में जरूर शिक्षकों को बताना चाहिए.
समझाया हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क में अंतर: हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क में अंतर समझाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्यासा कौवा की कहानी का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि अपनी समस्या या प्रश्नों को ध्यान से समझे फिर तय करें कि हार्ड वर्क करना है या स्मार्ट वर्क करना है. विपक्ष की चुनौतियों के बावजूद पीएम से यह पूछा गया कि आप आलोचना को कैसे स्वीकारते हैं, इस पर जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आलोचना समृद्ध लोकतंत्र के लिए एक शर्त है उसे नकारा नहीं जा सकता है. लोग आपकी कमियों को बताएंगे जो आपके लिए अच्छी बात है ताकि उसमें सुधार कर सकें. आलोचना करने के लिए बहुत अध्यन करना पड़ता है. टीचर से मिलना होता है आपकी हर गतिविधियों पर ध्यान देना होता है तब समझ में आता है कि कमी कहां है.
उन्होंने परिवार वालों को टोका टोकी से परहेज करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि आलोचना और आरोप दो अलग-अलग चीजें हैं आलोचना समृद्ध लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है मगर आरोप उचित नहीं. यदि आप सशक्त होंगे तो आरोप अपने आप समाप्त हो जाएगा. करीब 2 घंटे तक चले इस कार्यक्रम के बाद सांसद संजय सेठ ने पिछले दिनों पेंटिंग प्रतियोगिता में सफल हुए बच्चों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. वहीं पीएम मोदी के परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम को सुनने आए छात्रों ने खुशी जताते हुए कहा कि उनके द्वारा दिए गए सुझाव हमारे जीवन के लिए पथ प्रदर्शक होगा.