रांची: झारखंड में पूर्वी भारत का पहला जनजातीय विश्वविद्यालय खोले जाने का रास्ता साफ हो गया है. झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2021 को बहुमत के साथ स्वीकृति मिल गई है. जनजातियों के लिए देश में पहला विश्वविद्यालय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के अमरकंटक में संचालित है.
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सदन में इस बिल के आने पर भाकपा माले विधायक विनोद सिंह, आजसू विधायक लंबोदर महतो, भाजपा विधायक अनंत ओझा और रामचंद्र चंद्रवंशी के अलावा विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव ने कई कमियां गिनाते हुए इसे प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया. इस पर प्रभारी मंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इसमें सभी पहलुओं को समाहित करते हुए तैयार किया गया है. इसलिए प्रवर समिति में भेजने का कोई औचित्य नहीं है. लिहाजा, मतदान के बाद विधेयक स्वीकृत हो गया. लेकिन विनोद सिंह ने कहा कि 56 पेज के विधेयक को पढ़ने के लिए 56 मिनट का भी समय नहीं मिला है. इसमें कुछ और विशेषताओं को जोड़ना चाहिए. यह स्पष्ट होना चाहिए कि कुलपति और कुलसचिव जनजाति होंगे या नहीं. काउंसिल में एसटी सदस्यों को रखा जाएगा या नहीं. अनंत ओझा ने कहा कि विधेयक में प्रशासनिक और शैक्षणिक संरचना को लेकर कई कमियां दिख रही हैं. बंधु तिर्की ने सुझाव दिया कि कमेटी में सदन के वरिष्ठ जनजातीय विधायकों को जगह मिलना चाहिए.