रांचीः पूरे देश में नवंबर से दिसंबर के बीच किसान खेतों में धान की कटाई शुरू कर देते हैं. झारखंड में समय से मानसून का प्रवेश नहीं होने की वजह से इस बार कई किसान धान की रोपाई करने से वंचित रह गए. समय से बारिश नहीं होने से किसान उम्मीद छोड़ चुके थे, लेकिन बीच-बीच में बारिश होने के कारण इस बार धान की खेती में ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा.
लेट मानसून के कारण नहीं हुई धान की अच्छी फसल, किसान मायूस - झारखंड में मानसून का असर,
देश में किसान खेती के लिए बारिश पर निर्भर रहते हैं. बारिश ठीक से नहीं होने या समय पर मानसून नहीं आने से किसानों पर सीधा असर पड़ता है. झारखंड में भी इस बार मानसून ने देर से प्रवेश किया. इससे धान की खेती पर असर पड़ा है. धान की कटाई का वक्त आ गया है, लेकिन इतना धान नहीं उग पाया जिससे साल भर गुजारा चल सके.
धान की खेती प्रभावित
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बता दें कि केंद्र सरकार ने झारखंड के 10 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है. इसके साथ ही राज्य के 9 जिलों चतरा, देवघर, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, हजारीबाग, जामताड़ा, कोडरमा और पाकुड़ को मध्यम श्रेणी में शामिल किया गया.