रांची: वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव 3 मार्च को झारखंड विधानसभा में बजट पेश करेंगे. कोरोना संक्रमण से उबरने के दौर में आ रहे इस बजट से झारखंडवासियों को काफी उम्मीदें हैं. हालाकि 3 मार्च को ही साफ हो पाएगा कि हेमंत सरकार किस दिशा में आगे बढ़ेगी.
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वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि इस बार आउटकम बजट पेश किया जाएगा. झारखंड बनने के बाद ऐसा पहली बार होगा. अब सवाल है कि आउटकम बजट होता क्या है. बोलचाल की भाषा में इसे परिणाम आधारित बजट कह सकते हैं.
इसका मतलब यह कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जिस मद में राशि खर्च की जा रही है उसका परिणाम भी निकलना चाहिए. मसलन, अगर किसी प्रखंड में स्कूल भवन बनाया जाता है लेकिन वहां बच्चे नहीं पहुंच पा रहे हैं तो इसका मतलब है कि राशि बेकार चली गई.
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव करेंगे पेश
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने इसके मायने भी समझाए. उन्होंने कहा कि सरकार टैक्स वसूलती है और उसे विकास कार्यों पर खर्च करती है, लेकिन अब लोगों को होने वाले फायदे का अध्ययन करते हुए संबंधित विकास कार्य किए जाएंगे. इससे पहले झारखंड के बजट में प्लान और खर्च का जिक्र होता था, लेकिन इस बार आउटकम पर आधारित बजट बनाया जा रहा है.
ऐसा होने से विकास के काम में पादर्शिता भी आएगी. बेवजह प्लान नहीं बन पाएगा, जहां जरूरी होगा वहीं पैसे खर्च किए जाएंगे. दरअसल, साल 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले वर्तमान सत्ताधारी दल उस वक्त की रघुवर सरकार पर बेवजह इंफ्रास्ट्रक्चर में पैसे खर्च करने का आरोप लगाते था आरोप लगाता था कि रघुवर सरकार ने ऐसे ऐसी जगहों पर स्कूल और अस्पताल बनाए हैं जो जर्जर हो गए लेकिन किसी उपयोग में नहीं आए.
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव से पूछा गया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 86,370 करोड़ का बजट पेश हुआ था, लेकिन कई विभाग तीन प्रतिशत राशि भी खर्च नहीं कर पाए.
उन्होंने कहा कि पिछले साल क्या हुआ इससे सभी वाकिफ हैं. कोरोना के कारण सबकुछ ठप हो गया. लोग घरों में सिमट गए. बड़ी संख्या में मजदूर झारखंड लौटे. ऐसी स्थिति में प्राथमिकता बदलनी पड़ी क्योंकि मानवता संकट में थी. लोगों के पास खाने के लाले थे. तब सरकार की प्राथमिकता थी लोगों को अनाज और भोजन पहुंचाना. वित्त मंत्री ने कहा कि अगर मैं विपक्ष में होता तो पिछले साल के बजट पर सवाल नहीं उठाता.