झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

रिम्स का ऑर्थो विभाग बना लावारिस मरीजों का ठिकाना, अपनों के इंतजार में हैं मरीज

राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में कई ऐसे लावारिस मरीज हैं जो इलाज के अभाव में अपनी मौत की उल्टी गिनती गिन रहे हैं. इनकी हालत इतनी दयनीय हैं कि ये न तो अपना दर्द बयां कर पाते हैं और ना ही अपने जख्मों का इलाज करवा पा रहे हैं. रिम्स के ऑर्थो विभाग के बगल में किचन होने के कारण ऐसे मरीज अपना ठिकाना रिम्स के ऑर्थो विभाग के बाहर ही बना लेते हैं.

रिम्स का ऑर्थौ विभाग बना लावारिस मरीजों का ठिकाना

By

Published : Sep 27, 2019, 5:16 PM IST

रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में लावारिस मरीजों को देखने वाला कोई नहीं हैं, अस्पताल के ऑर्थो विभाग में कई ऐसे लावारिस मरीज हैं जो इलाज के अभाव में अपनी मौत की उल्टी गिनती गिन रहे हैं.

देखें पूरी खबर

रिम्स में दिखती है मरीजों की लाचारगी
रिम्स में कई ऐसे लावारिस मरीज हैं, जिन्हें देख आपका कलेजा पिघल जायेगा. इनकी हालत इतनी दयनीय है कि ये न तो अपना दर्द बयां कर पाते हैं और न ही अपने जख्मों का इलाज करवा पा रहे हैं. ऐसे मरीजों का समुचित इलाज कराने वाली संस्था डालसा की भी नजर ऐसे मरीजों पर नहीं पड़ रही है. रिम्स में पिछ्ले 2 महीने से अपनी बिमारी का इलाज करा रहे ऐसे ही एक मरीजों का कहना हैं कि उसने अपनी लाचारगी को देख रिम्स के डॉक्टरों और नर्सों को ही अपना परिवार मान लिया है.

ये भी पढ़ें-रिम्स बनेगी झारखंड की पहली मेडिकल यूनिवर्सिटी, शासी परिषद की बैठक में हुआ फैसला

मरीजों के बेहतर इलाज
वहीं, ऑर्थो विभाग के हेड डॉ एल बी मांझी बताते हैं कि ऐसे मरीजों की संख्या आए दिन बढ़ती जा रही है. खासकर ऑर्थो विभाग में ऐसे मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है. उनका कहना है कि विभाग में आए दिन ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ने की मुख्य वजह यह है कि यहां लावारिस लोगों को खाना मुहैया किया जाता है. रिम्स के ऑर्थो विभाग के बगल में किचन होने के कारण ऐसे मरीज अपना ठिकाना इसी के बाहर बना लेते हैं.

एनजीओ को भी किया गया सूचित
मरीजों की चिंता जाहिर करते हुए डॉ मांझी बताते हैं कि ऐसे लाचार मरीजों को देख अत्यधिक पीड़ा होती है. जो मरीज उनके इलाज के लायक होते हैं, उन्हे तो वे अपने वार्ड में जगह देकर इलाज कर रहे हैं, लेकिन जो मरीज ऑर्थो से जुड़ी बिमारियों से ग्रसित नहीं है वैसे मरीज यूं ही यहां पड़े रहते हैं, ऐसे में उनके बेहतर इलाज के लिए उच्च अधिकारियों और एनजीओ को भी सूचित किया गया है, लेकिन अभी तक इसे लेकर उनकी ओर से कोई पहल नहीं की गई है.

ये भी पढ़ें-जमशेदपुर: रिम्स में एडमिशन दिलाने के नाम पर 17 लाख की ठगी, पीड़ित ने की SSP से शिकायत

मजबूरी का जीवन जीने को बेबस मरीज
जब एनजीओ के कर्मचारियों और अधिकारियों से बात करने की कोशिश कि गई तो वे सभी जल्द से जल्द इलाज कराने का आश्वासन देते हुए अपनी जिम्मेदारियों से बचते नजर आए. मरीज रिम्स में अपने अपना इलाज कराकर स्वस्थ्य होने आते हैं, लेकिन प्रबंधन की लापरवाही और उदासीनता को लेकर रिम्स में पहुंचे लावारिस मरीज मजबूरी और लाचारगी का जीवन जीने को बेबस हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details