रांची:साल 2030 तक विश्व से रैबीज से मौत के आंकड़े (Rabies death statistics) को शून्य करने के लक्ष्य के साथ बुधवार को दुनिया भर में वर्ल्ड रैबीज डे (World Rabies Day 2022) मनाया गया. इस साल मनाए जा रहे 16वें विश्व रैबीज दिवस का थीम 'वन हेल्थ,जीरो डेथ' रखा गया है (World Rabies Day 2022 Theme). झारखंड के संदर्भ में विश्व रैबीज दिवस की अहमियत (Importance of World Rabies Day) इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि कोरोनकाल के दो साल 2020 और 2021 को छोड़ दें तो, 2016 से लेकर 2019 तक के आंकड़ें बताते हैं कि राज्य में हर साल 60 हजार से अधिक लोग डॉग बाइट के शिकार होते हैं. जिसके कारण सरकार को जनता की गाढ़ी कमाई का करीब 330 लाख रुपये की राशि रैबीज वैक्सीनेशन और अन्य मदों पर हर साल खर्च करना पड़ता है. राज्य में अगर डॉग बाइट को ही काबू में कर लिया जाए तो इतनी बड़ी रकम को हर साल जनस्वास्थ्य के अन्य कार्यों में लगाया जा सकता है.
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झारखंड में कुत्तों के काटने के आंकड़े बढ़े: रांची के प्रख्यात इंटरनल मेडिसीन फिजिशियन डॉ एके झा कहते हैं कि राज्य में डॉग बाइट यानि कुत्तों के काटने के आंकड़े (Dog bite statistics in Jharkhand) बढ़े हैं. यह तभी कम होगा जब राज्य में कुत्तों की बढ़ती संख्या को रोका जाए और चाहे पेट डॉग हो या स्ट्रीट डॉग, सभी को वैक्सीनेट किया जाए. रांची सहित राज्यभर में आवारा कुत्तों का आतंक इतना बढ़ गया है कि वह राहगीरों के साथ-साथ पालतू पशुओं, खासकर बकरियों को भी अपना शिकार बना लेते हैं. जिसके कारण जानवर से इंसान में और जानवरों से जानवरों में फैलने वाली जानलेवा बीमारी रैबीज खतरनाक हो जाता है. रांची सदर अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन लेने आयीं हरमू की नीतू चौधरी कहती हैं कि वह स्कूल से घर लौटे बेटे को लाने के लिए बस स्टैंड गयी थीं. जहां कुत्ते ने उनके पैर में काट लिया