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Published : Aug 1, 2021, 10:58 PM IST

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कंबल घोटालाः आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश, एसीबी कर रही मामले की जांच

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारक्राफ्ट प्रबंध निदेशक को निर्देश दिया है कि राज्य के चर्चित कंबल घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) से जांच की अपडेट जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई करें. इससे संबंधित प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री की स्वीकृति मिल गई है.

Orders for action against the accused of blanket scam
कंबल घोटाले के आरोपियों के खिलाफ करवाई के आदेश

रांचीः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारक्राफ्ट प्रबंध निदेशक को निर्देश दिया है कि राज्य के चर्चित कंबल घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से जांच की अपडेट जानकारी प्राप्त करें. इसके साथ ही झारक्राफ्ट के दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक और दंडात्मक कार्यवाही प्रारंभ करें. इससे संबंधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दे दी है.

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क्या है पूरा मामला
झारक्राफ्ट और कुछ तथाकथित समितियों की ओर से हरियाणा के पानीपत से कंबल खरीद में वित्तीय अनियमितता और आपूर्ति में गड़बड़ी की गई. इसको लेकर तत्कालीन मुख्य सचिव ने जनवरी 2018 में जांच का आदेश दिया था. इसके बाद वित्तीय अनियमितता की ऑडिट कराई गई, जिसमें कंबल आपूर्ति में हुई गड़बड़ियों को उजागर किया गया.

इसके साथ ही तत्कालीन प्रबंध निदेशक झारक्राफ्ट की ओर से भी जांच प्रतिवेदन विकास आयुक्त को सौंपा गया, जिसमें कंबल आपूर्ति में अनियमितता की बात स्वीकार की गई. इस प्रतिवेदन पर विकास आयुक्त ने मामले की अद्यतन स्थिति और अनियमितता पर शीघ्र कार्रवाई की प्रतिवेदन की मांग झारक्राफ्ट से की गई.

अनियमितता में कौन-कौन शामिल
झारक्राफ्ट की ओर से 23 फरवरी 2018 को विस्तृत जांच प्रतिवेदन सौंपा गया. इस विस्तृत जांच प्रतिवेदन में एनएचडीसी के पदाधिकारी, धागा आपूर्ति पदाधिकारी, ट्रांसपोर्टर, नसीम अख्तर, तत्कालीन उप महाप्रबंधक झारक्राफ्ट अशोक ठाकुर, मुख्य वित्त पदाधिकारी झारक्राफ्ट और रेनू गोपीनाथ पणिक्कर, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी झारखंड की इस अनियमितता में शामिल होने की संभावना बताई गई.

झारक्राफ्ट के प्रबंध निदेशक की ओर से रेनू गोपीनाथ पणिक्कर, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी अशोक ठाकुर, मुख्य वित्त पदाधिकारी झारक्राफ्ट से स्पष्टीकरण की मांग की गई. झारक्राफ्ट ने बताया कि कंबल खरीद में नियम संगत प्रक्रिया पूरी नहीं की गई थी.

उद्योग विभाग ने की थी जांच की अनुशंसा
उद्योग विभाग ने इस मामले में एसीबी से जांच कराने की अनुशंसा की थी. वित्तिय वर्ष 2016-17 में रघुवर सरकार ने सर्दियों के मौसम में कंबल वितरण के लिए नौ लाख कंबल बनाने का आर्डर झारक्राफ्ट को दिया था. लेकिन झारक्राफ्ट ने पानीपत से कंबलों की खरीद की, जिसमें 18 करोड़ की अनियमितता सामने आई थी.

अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद तात्कालिन विकास आयुक्त अमित खरे ने स्पेशल ऑडिट कराई थी. इसके साथ ही अमित खरे ने तात्कालिन मुख्यमंत्री से एसीबी जांच कराने की मांग की थी. सरकार ने तब विभागीय जांच करायी गई, अनियमितता का विवाद बढ़ा तो तात्कालिन सीईओ रेणु गोपीनाथ पाणिकर ने इस्तीफा दे दिया था.

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