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Planning Policy: नियोजन नीति लाने में जुटी सरकार, 73 फीसदी युवाओं ने 2016 के पहले की नियोजन नीति लाने की दी राय - 2016 से पहले की नियोजन नीति

नियोजन नीति को लेकर राज्य सरकार गंभीर है. इस दिशा में पिछले एक महीने से सरकार के अंदर मंथन का दौर जारी है. यदि सबकुछ ठीक रहा तो आगामी 2 मार्च को होने वाली कैबिनेट की बैठक में नई नियोजन नीति को सरकार लाने का काम करेगी.

Opinion of youth regarding planning policy in Jharkhand
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मंत्री आलमगीर आलम और विधायक उमाशंकर अकेला

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Published : Mar 1, 2023, 8:10 AM IST

रांची: राज्य सरकार ने इस संदर्भ में पिछले दिनों युवाओं की राय जानी थी जिसमें अधिकांश युवाओं ने 2016 के पहले के नियोजन नीति को लाकर तात्कालिक रूप से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की राय व्यक्त की थी. इसके लिए राज्य सरकार ने मिनी रत्न कंपनी को जिम्मेदारी सौंपा था जिसमें 7,33,921 युवाओं से राय अब अब तक जाना गया है जिसमें 73% युवाओं ने 2016 के पहले के नियोजन नीति को लाने की राय व्यक्त की है. जबकि 16% युवाओं ने 2016 के पहले के नियोजन नीति को नहीं लाने की राय व्यक्त की है और 11% युवाओं ने इस संदर्भ में कुछ भी राय नहीं व्यक्त की है.

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2021 की नियोजन नीति हो चुकी है रद्द: हेमंत सरकार के द्वारा 2021 में पिछली रघुवर सरकार के नियोजन नीति को समाप्त करते हुए नई नियोजन नीति लाया गया था जिसमें खतियान आधारित नियोजन नीति बनाने की बात कही गई थी. राज्य सरकार का इस संदर्भ में मानना था कि 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति एवं पिछड़े वर्ग को 27% आरक्षण देने के विषय को संविधान की नौवीं अनुसूची का संरक्षण मिल जाने के बाद ही लागू किया जाए. लेकिन राज्यपाल की ओर से राज्य सरकार का प्रस्ताव वापस कर दिया गया. पूर्व की सरकार के द्वारा लाई गई 13/11 वाली नियोजन नीति को भी न्यायालय द्वारा रद्द हो चुका है.

नियोजन नीति को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान अपने संबोधन में कहा था कि राज्य के थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नियुक्ति में राज्य के आदिवासियों-मूलवासियों की शत प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित हो. नौजवान जो चाहेंगे उन्हीं की विचारों के अनुसार सरकार काम करेगी और उन्हें बेहतर अवसर दिए जाएंगे. गौरतलब है कि वर्तमान सरकार ने स्थानीय भाषाओं एवं लोक संस्कृति की जानकारी को नियोजन नीति में जोड़ने का प्रयास किया था इसके अलावे दसवीं और बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण होने की शर्त भी जोड़ी थी जो काफी विवादों में आ गया था बाद में हाईकोर्ट ने इस नियोजन नीति को रद्द कर दी थी.

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