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कोरोना की दूसरी लहर ने तोड़ दिए मौत के सारे रिकॉर्ड, रांची का डाटा देख उड़ जाएंगे होश

कोरोना की दूसरी लहर ने इस साल प्रदेश की राजधानी पर कहर बरपा दिया. स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गईं. इससे साल 2020 के मुकाबले 2021 में रांची में मौत के आंकड़े बढ़ गए. अब तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है तो सभी को सचेत रहने की जरूरत है.

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कोरोना की दूसरी लहर ने मचाई तबाही

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Published : Jul 12, 2021, 2:20 PM IST

Updated : Jul 12, 2021, 8:11 PM IST

रांचीःकोरोना की दूसरी लहर में हर तरफ लोग महामारी के शिकार दिखाई दे रहे थे. शायद ही कोई मोहल्ला होगा जहां, किसी कोविड-19 शिकार के परिजन की चीत्कार सुनाई न दे रही हो. नतीजतन राजधानी में जगह-जगह मरघट जैसा डर महसूस हो रहा था. यह हम नहीं साल 2020 और 2021 के दो महीने में रांची जिले में हुई मौत के आंकड़े कहते हैं. रांची में साल 2020 के अप्रैल और मई माह में 1385 लोगों की मौत हुई थी, जबकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वर्ष 2021 में इसी अवधि में 5774 लोगों की जान गई(इस अवधि में निर्गत मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर यानी मरने वालों के आंकड़ों में कोरोना और दूसरी वजहों से मौत के आंकड़े भी शामिल). तमाम वैज्ञानिकों ने तीसरी लहर की भी आशंका जताई है, लेकिन जिम्मेदार और राजनीतिक दल लोगों की जान बचाने के लिए प्रयास करने की जगह सत्ता के लिए प्वाइंट स्कोरिंग में ही जुटे हैं.


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डरावना साबित हुआ 2021 का मई महीना

2021 में मई के महीने में 3442 लोगों की मौत के आंकड़े डराने वाले हैं. ये आंकड़े साल 2020 में मई के महीने में हुई 738 लोगों की मौत से चार गुना से अधिक थे(इसमें कोरोना से मौत समेत सभी कारणों से मरे लोगों की संख्या शामिल है), यानी दूसरी लहर का कहर हमारे सिस्टम को आईना भी दिखाती और आगे आने वाली तीसरी लहर की तैयारी के लिए सजग भी करती है. लेकिन कोरोना की तीसरी लहर की चिंता किए बगैर सभी जिम्मेदार अभी भी खुद को शाबाशी देने और दूसरे को कमतर बताने में ही अपनी ऊर्जा खर्च कर रहे हैं.

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इतनी बड़ी संख्या में साल 2021 में लोगों की जान क्यों गई, इस सवाल का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने झारखंड हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन (झासा) के प्रदेश महासचिव डॉ. बिमलेश सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि मौत के ये आंकड़े इसलिए तेज गति से बढ़े क्योंकि इस समय कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी. इसके अलावा अन्य बीमारियों से मौत और पोस्ट कोविड बीमारियों से हुई मौत ने भी साल 2020 की अपेक्षा इस वर्ष मौत के आंकड़े को कई गुना बढ़ाया.

RTI से मांगी जानकारी से यह हुआ खुलासा

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में रांची जिला सांख्यिकी कार्यालय ने बताया है कि वर्ष 2020 के मुकाबले, 2021 के अप्रैल महीने में 3.66 गुना अधिक मौत हुई है. वहीं मई महीने में मौत का यह आंकड़ा 4.66 गुना बढ़ गई. अप्रैल 2020 में जहां रांची में 647 लोगों की मौत हुई थी, वहीं अप्रैल 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 2332 हो गया. इसी तरह 2020 के मई महीने में जहां रांची में महज 738 लोगों की मौते हुई थी, वहीं 2021 के मई महीने में मौत का आंकड़ा तीन हजार के भी पार पहुंच गया और इस अवधि में रांची में 3442 लोगों की मौत दर्ज की गई.

मौत पर सियासत
आंकड़े बता रहे हैं कि वर्ष 2020 की अपेक्षा 2021 के अप्रैल और मई महीने रांचीवासियों पर भारी पड़े. इस दौरान शहर के अस्पतालों में दवा से लेकर ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा उपकरणों का संकट सामने आया. यह हाल तब रहा जब कोरोना की दूसरी लहर के कारण ओपीडी और अस्पतालों को कोरोना अस्पतालों में बदल दिया गया था. लेकिन जरूरी सुविधा और इलाज के अभाव में लोग एक के बाद एक जान गंवाते रहे. लेकिन आगे आकर जनता की मदद करने की बजाय झारखंड में सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोग अपने कार्यालयों से बयानबाजी करते नजर आए. इससे इन्होंने अब भी कोई सीख नहीं ली है और खुद की पीठ थपथपाकर और दूसरे को नीचा दिखाने की ढीठ कोशिशों से महज बीमारी से अपनों को खोने वालों के जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं. जबकि इस समय तीसरी लहर से निपटने के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए जा सकते हैं.

सरकार की नाकामी दिखाते हैं मौत के आंकड़ेः भाजपा

भाजपा के रांची विधायक सीपी सिंह और प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दवा, ऑक्सीजन ,अस्पताल में बेड की कमी रही. इसी के कारण मौत के आंकड़े कई गुना बढ़ गए. यह आंकड़े बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में प्रशासनिक तंत्र विफल साबित हुआ.

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झामुमो का पलटवार

झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने दूसरे वेव की भयावहता को स्वीकार किया है. हालांकि इसके लिए वे केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ते और सीएम हेमंत सोरेन की पीठथपथपाते नजर आते हैं. पांडेय का कहना है कि केंद्र की ओर से जरूरी सहयोग नहीं मिलने के बावजूद हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में बेहतर काम किया गया, नहीं तो मौत का आंकड़ा और ज्यादा होता. मनोज पांडेय ने भाजपा के नेताओं को चुनौती दी कि झारखंड में हुई मौत पर सवाल खड़ा करने से पहले भाजपा और NDA शासित राज्यों और वाराणसी में हुई मौत के आंकड़े सार्वजनिक करें. हालांकि हर राज्य की जनसंख्या और परिस्थिति अलग है और इस आधार पर दूसरे राज्य से तुलना आसान नहीं है.

2020 के मुकाबले चार हजार से अधिक लोगों ने गंवाई जान
मौत के ये चौकाने वाला आंकड़ा सिर्फ रांची जिले का है. प्रदेश की मौत के आंकड़ों को देखें तो ये कई गुना बढ़ जाएंगे. राजधानी रांची में स्वास्थ्य सेवाओं के दूसरे जिलों से बेहतर स्थिति के बावजूद रांची में 2020 के अप्रैल मई के दो महीने में 1325 लोगों की मौत के मुकाबले वर्ष 2021 के इन्हीं दो महीने में 5774 लोगों की मौत हुई, जो पिछले साल के मुकाबले 4449 अधिक थी. इन आंकड़ों से सबक लें तो हम अपनी ऊर्जा तीसरी वेव से निपटने में लगा सकते हैं, जिससे पुराना इतिहास दोहराने से बच सकते हैं.

Last Updated : Jul 12, 2021, 8:11 PM IST

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