रांची: झारखंड को-ऑपरेटिव बैंक में 33 करोड़ के लोन घोटाले मामले में सीआईडी ने तत्कालीन बैंक मैनेजर सुनील कुमार सतपती को गिरफ्तार कर लिया है. सीआइडी मुख्यालय की तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी कर गिरफ्तारी की पुष्टि की गई है.
सरायकेला के झारखंड को-ऑपरेटिव ब्रांच में हुए घोटाले को लेकर पिछले साल कांड संख्या 118/19,119/19 दर्ज किया गया था. सीआइडी एडीसी अनिल पल्टा ने बताया कि तत्कालीन बैंक प्रबंधक की गिरफ्तारी केस नंबर 118 में की गई है.
सीआइडी ने 2 हफ्ते पहले ही बैंक में लोन घोटाले से संबंधित केस को टेक ओवर किया था. जांच में सुनील कुमार सतपती की भूमिका गलत पाई गई थी. जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया था. झारखंड को-ऑपरेटिव बैंक में साल 2011 से लेकर 2016 तक बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से 33 करोड़ों का लोन घोटाला हुआ था.
झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में लोन घोटाले में बैंक अधिकारियों के साथ-साथ सरायकेला के एक कारोबारी की भी भूमिका संदिग्ध है. 33 करोड़ के इस घोटाले में सीआइडी ने जांच में बैंक के एजीएम स्तर के अधिकारी को भी जांच टीम में अपने साथ जोड़ा है. पिछले हफ्ते सीआइडी की टीम ने कागजातों की बरामदगी के लिए रांची के अपर बाजार स्थित को-ऑपरेटिव बैंक की मुख्य शाखा में छापेमारी भी की थी.
इसे भी पढे़ं:-दिल्ली HC ने पूर्व सीएम मधु कोड़ा को दिया झटका, नहीं लड़ पाएंगे चुनाव
सतपती को जमशेदपुर की सीआइडी ऑफिस में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, जहां से उसको गिरफ्तार किया गया. अब उनको जेल भेजने की कार्रवाई की जा रही है. इस मामले में यह पहली गिरफ्तारी है. तत्कालीन मैनेजर खरसावां जिले का रहने वाला है. इस मामले में गिरफ्तार किये गए आरोपी से पूछताछ की जा रही है. राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक सीआइडी अनिल पल्टा खुद इस मामले को देख रहे हैं और कोल्हान प्रमंडल के सीआइडी डी एस पी अनिमेष गुप्ता इस मामले के अनुसंधानकर्ता है. इस मामले में 22 अगस्त 2019 को सरायकेला थाना में करीब 38 करोड़ रुपये का घोटाला करने का मुकदमा दायर है.
बताया जाता है कि सहकारिता बैंक की सरायकेला शाखा से संजय कुमार डालमिया नामक एक कारोबारी द्वारा 33 करोड़ रुपये का लोन विभिन्न कंपनियों के नाम पर लिया था. बाद में इसको जमा तक नहीं कराया.
इसके अलावा इसी दौरान बैंक में ही करीब 4 करोड़ का और लोन दिया गया था, जिसका लोन लेने वाले ने पैसे नहीं लौटाए. इस मामले के सामने आने के बाद आंतरिक तौर पर पूरे मामले की जांच शुरू की गई. जिसकी रिपोर्ट आने के बाद सरायकेला थाना में मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक सुनील कुमार सतपती, सहायक के पद पर आसीन रहे मदन लाल प्रजापति, तत्कालीन मैनेजर बिरेन्द्र कुमार सेवइया, क्षेत्रीय कार्यालय चाईबासा में पदस्थापित एजीएम, तत्कालीन लेखाकार शंकर बंधोपाध्याय, चाईबासा क्षेत्रीय कार्यालय के तत्कालीन एमडी मनोज नाथ शाहदेव, तत्कालीन एजीएम मुख्यालय संदीप सेन, सीइओ ब्रजेश्वर नाथ और संजय कुमार डालमिया को आरोपी बनाया गया था.