रांची: झारखंड में भले ही कोरोना के मरीजों की संख्या कम होती जा रही है. लेकिन कोरोना संक्रमण के साइड इफेक्ट से आम लोग परेशान हैं. कोरोना संक्रमण के बाद से हृदय रोग के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई हैं.
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कोरोना वायरस की चपेट में आए मरीजों में दिल की बीमारी की समस्या बढ़ गयी है. डॉक्टर बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कोरोना संक्रमित मरीजों के फेफड़े को डैमेज किया है. इसका प्रभाव संक्रमित लोगों के हार्ट पर भी पड़ा है. इससे हार्ट मरीजों की कुछ संख्या कोरोना संक्रमण की वजह से भी बढ़ी है.
ठंड की वजह से भी बढ़ी मरीजों की संख्या
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की बात करें तो रिम्स के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में हृदय रोग से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ गई है. कार्डियोलॉजी विभाग के हार्ट सर्जन डॉ. अंशुल प्रकाश कहते हैं कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान जो मरीज नहीं आ रहे थे. वो मरीज भी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. इसके साथ ही ठंड के मौसम में अमूमन हृदय रोगियों की संख्या में थोड़ा बहुत बढ़ोतरी होती है.
फेफड़ा और हार्ट एक-दूसरे से लिंक
उन्होंने बताया कि कोरोना इंफेक्शन फेफड़े को पूरी तरह से डैमेज करता है. इसका हार्ट पर भी असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि हार्ट को काम करने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, जो फेफड़ा से मिलता है. हार्ट और फेफड़ा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं. यही वजह है कि कोरोना वायरस के कारण भी हृदय रोगियों की संख्या बढ़ी है.
सर्जरी में भी बढ़ा मरीज
डॉ. अंशुल प्रकाश ने बताया कि वर्तमान समय में प्रत्येक माह 60 से 70 मरीजों का एंजियोप्लास्टी किया जा रहा है. इसके साथ ही प्रतिमाह 250 से 300 लोगों का एंजियोग्राफी किया जाता है. उन्होंने कहा कि सर्जरी में भी बढ़ोतरी हुई है. पहले प्रतिमाह 5 से 6 ह्रदय रोगियों का सर्जरी किया जाता था, जो बढ़कर 10 से 12 हो गया है.