रांची:राजधानी रांची में ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार की तरफ से कई उपाय किए जा रहे हैं. पिछले दिनों रांची सहित झारखंड के कई जिलों में एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर काफी गिर गया था. इसपर न्यायालय ने मामले को संज्ञान लेते हुए प्रशासन और राज्य सरकार को कई आदेश दिए थे. पिछले दिनों एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह आदेश दिया था कि वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की जानकारी को सार्वजनिक करने के लिए अपने वेबसाइट पर भी जानकारी साझा करें.
पुराने सरकारी वाहनों से भी बढ़ रहा वायु प्रदूषणःवहीं राजधानी रांची की बात करें तो अभी भी सरकारी और निजी स्तर पर कई ऐसे वाहनों का परिचालन धड़ल्ले से हो रहा है, जो ध्वनि और वायु प्रदूषण दोनों के स्तर को बढ़ा रहा है, लेकिन जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है. सदर अस्पताल रांची के अलावा विभिन्न सरकारी संस्थानों में कई ऐसी गाड़ियां हैं जो पॉल्यूशन कंट्रोल के नियमों का पालन नहीं करती है, लेकिन इसके बावजूद सड़कों पर ऐसी गाड़ियां धड़ल्ले से दौड़ रही हैं.
पुलिस विभाग में कई वाहन 15 साल से भी पुरानेः खासकर पुलिस विभाग के विभिन्न थानों में कई ऐसे पुराने जीप हैं, जिसका समय 15 साल से ऊपर हो चुका है. वैसी गाड़ियों से धुएं के छल्ले निकल रहे हैं, जो वायु प्रदूषण के लेवल को बढ़ा रहा है, लेकिन इसके बावजूद जिला प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है. पुरानी गाड़ियों के परिचालन से ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ा रहा है. सिर्फ सरकारी ही नहीं, बल्कि कई ऐसे व्यवसायिक वाहन भी हैं, जो 15 साल से ऊपर हो चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद वैसी गाड़ियां आज भी सड़कों पर पुलिस के सामने बेखौफ दौड़ रही हैं.
20 साल पुराने ऑटो का रांची में हो रहा परिचालनः रांची के कांटा टोली से लेकर धुर्वा तक चलने वाली लगभग सभी ऑटो 20 साल पुराने हैं, लेकिन उसके बावजूद पुराने ऑटो का बेखौफ परिचालन हो रहा है. जबकि नियमानुसार वैसी गाड़ियों पर जिला प्रशासन को प्रतिबंध लगाना चाहिए, जो ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है.
परिवहन विभाग समय-समय पर चलाता है अभियानः वहीं इस संबंध में रांची के जिला परिवहन पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण की बढ़ोतरी में पुराने वाहन मुख्य कारक हैं. इसलिए वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जिला परिवहन कार्यालय और मोटर व्हीकल एक्ट के तहत समय-समय पर अभियान चलाया जाता है. जिन गाड़ियों के साइलेंसर से धुआं निकलता है या फिर वह पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल के नियमों का पालन नहीं करते हैं तो वैसी गाड़ियों पर फाइन लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि रांची के सभी पेट्रोल पंपों पर पॉल्यूशन जांच केंद्र भी बनाए गए हैं. जहां पर समय-समय पर सभी गाड़ियों को पॉल्यूशन फ्री सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य किया गया है.