रांची: वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर लगे लॉकडाउन 4 की मौजूदा स्थिति तक झारखंड में तीन लाख से अधिक प्रवासी वापस लौट चुके हैं. इनमें 1,38,000 से अधिक लोग ट्रेनों से लौटे हैं, जबकि एक लाख से अधिक लोग बसों से लौटे हैं. उसके अलावा बड़ी संख्या में अलग-अलग माध्यमों से भी वापस लौटे हैं. आपदा एवं प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव अमिताभ कौशल ने बताया कि अब तक 3,15,000 से अधिक लोग झारखंड लौट चुके हैं.
हालांकि इस मौके पर कोविड-19 के मद्देनजर बनी कमेटी को हेड कर रहे राज्य के नोडल पदाधिकारी एपी सिंह ने कहा कि मुख्य सचिव ने अलग-अलग राज्यों को दो पत्र लिखे हैं, जिसमें साफ कहा गया है कि डिस्पैचिंग स्टेट को झारखंड से एनओसी लेने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि बात सामने आ रही है कि लोग फर्जी आईडेंटिटी बनाकर भी वापस आ रहे हैं, हालांकि वैसे लोगों को भी उनके संबंधित राज्यों में भेज दिया गया है. उन्होंने बताया कि अब तक दूसरे देशों से झारखंड के 18 प्रवासी लौटे हैं. उनमें 13 लोगों को गया एयरपोर्ट से रिसीव कर झारखंड में क्वॉरेंटाइन किया गया है, जबकि पांच देश के अन्य भागों में क्वॉरेंटाइन में हैं. उन्होंने कहा कि मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर के आंकड़े के अनुसार झारखंड के 1300 लोग दूसरे देशों से वापस आ सकते हैं.
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कुल 200 ट्रेनें आएंगी झारखंड
वहीं, परिवहन के नोडल ऑफिसर के रवि कुमार ने बताया कि अब तक 102 ट्रेनें आ चुकी है और 22 मई तक 14 और ट्रेनें पहुंचेंगी, उन 14 ट्रेनों में 19500 लोग आएंगे. उन्होंने कहा कि 4 राज्यों से आई राजधानी ट्रेनों से लगभग 4426 लोग आए, जबकि राज्य से वापस जाने वाले लोगों की संख्या 3688 है. उन्होंने कहा कि अभी तक 83 और ट्रेनों को एनओसी दिया गया है. कुल मिलाकर के लगभग 200 ट्रेनें झारखंड आ रही है. वहीं एअरलिफ्ट करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने भी गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक उस पर कोई इजाजत नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि डिस्पैचिंग स्टेट को ही तय करना है कि वह वहां से आने वाले मजदूरों को कैसे और कब भेजेगा. केवल ट्रेनों के शेडूल झारखंड उसके साथ शेयर करनी है.