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सरना धर्म कोड को लेकर रेल-सड़क चक्का जाम बेअसर, सामान्य दिनों की तरह हो रही गाड़ियों की आवाजाही

No effect of rail road traffic jam. सरना धर्म कोड को लेकर आज झारखंड, प. बंगाल, ओडिशा, छत्तीगढ़ और असम में चक्का जाम का आहृन किया गया था. लेकिन इसका कोई असर फिलहाल नहीं दिख रहा है.

आदिवासी सेंगेल अभियान
आदिवासी सेंगेल अभियान

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 30, 2023, 11:01 AM IST

रांची: सरना धर्म कोड की मांग को लेकर 30 दिसंबर को आदिवासी सेंगेल अभियान ने झारखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों में रेल और सड़क जाम का आह्वान किया है. इस आंदोलन को आदिवासी सेंगेल अभियान के अलावा केंद्रीय सरना समिति, आदिवासी छात्र संघ, सरना धर्म समन्वय समिति और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद जैसे संगठन ने समर्थन दिया है. हालांकि रेल, सड़क चक्का जाम का कोई खास प्रभाव नहीं देखा जा रहा है.

रांची सहित पूरे प्रदेश में रेल और सड़क सेवा सामान्य है. कहीं से भी किसी बाधा की सूचना नहीं मिली है. सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू जमशेदपुर में हैं. ईटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बीमार होने की वजह से आंदोलन में वो आज शामिल नहीं हो सकेंगे. हालांकि अन्य कार्यकर्ता और नेता जरूर इसमें शामिल होंगे.

8 नवंबर को मोरहाबादी मैदान में हुई थी भारत बंद की घोषणा:8 नवंबर को मोरहाबादी मैदान में आंदोलन की घोषणा की गई थी. इसके अनुरूप झारखंड, प. बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और असम जैसे प्रांतों में चक्का जाम की घोषणा की गई थी. सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि यह आंदोलन सांकेतिक है. मगर केंद्र सरकार अगर इसके बावजूद भी मांग पूरी नहीं करती है, तो आने वाले समय में बड़ा आंदोलन किया जाएगा. सरना धर्म कोड आदिवासियों की प्रमुख मांग है. यह हमारे अस्तित्व की जीवन रेखा है, जिसे मौलिक अधिकार के रूप में माना जा सकता है. लगातार इसको लेकर मांग की जाती रही है. मगर सरकार इसे नजरअंदाज कर आदिवासियों की उपेक्षा कर रही है. पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शित करेंगे. सरना आंदोलन वृहद आदिवासी एकता का आंदोलन है, जिसे देश में आदिवासी राष्ट्र स्थापित करने का भी आंदोलन माना जा सकता है.

झारखंड विधानसभा से पास होकर केंद्र के पास है सरना धर्म कोड का मामला:सरना धर्म कोड को लेकर लंबे समय से मांग उठती रही है. हेमंत सरकार ने अपनी चुनावी वादों को पूरा करने के लिए आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव 11 नवंबर 2020 को झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पारित किया था. इसके जरिए केंद्र सरकार से 2021 के जनगणना संशोधन करने की मांग की थी. इसके बाद विभिन्न आदिवासी संगठन के द्वारा केंद्र सरकार से लगातार मांग की जाती रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सरना धर्म कोड की मांग जा चुकी है.

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