नई दिल्लीःझारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में बिहार-बंगाल को लेकर 19 जुलाई 1978 में हुए एग्रीमेंट का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि बिहार और बंगाल के बीच तय हुए इस एग्रीमेंट का पालन न तो बिहार और न ही बंगाल सरकार कर रही है.
सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में उठाया 41साल पुराना बिहार-बंगाल एग्रीमेंट, कहा- केंद्र सरकार करे हस्तक्षेप - Bihar-Bengal Agreement
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में स्पीकर से अनुरोध किया कि 19 जुलाई 1978 और 1967 में हुए बंगाल और बिहार सरकार से हुए एग्रीमेंट पर केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे. उन्होंने संसद में इस मुद्दे पर कार्रवाई और एक कमेटी बनाने की बात कही.
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे
क्या है समझौता
- समझौते के अनुसार, निर्माण, मरम्मत और विस्थापन का पूरा व्यय बंगाल सरकार को करना होगा. इसके साथ ही विस्थापितों को सिंचित जमीन भी देनी होगी
- दूसरे समझौते के तहत 19 जुलाई 1978 को हुआ था, मसानजोर डैम को लेकर बंगाल और बिहार सरकार के बीच एक एग्रीमेंट हुआ था. एग्रीमेंट 10 बिंदुओं पर हुआ था, लेकिन बंगाल सरकार की तरफ से एग्रीमेंट की एक भी शर्त पूरी नहीं की गई है.
- एग्रीमेंट में मयूराक्षी के अलावा इसकी सहायक नदियों सिद्धेश्वरी और नूनबिल के जल बंटवारे को भी शामिल किया गया था. इसके अनुसार, बंगाल सरकार को ये ध्यान रखना था कि को पानी लेते समय मसानजोर डैम का जलस्तर कभी भी 363 फीट से नीचे नहीं आए, ताकि झारखंड के दुमका की सिंचाई प्रभावित न हो.
- बंगाल सरकार को एक अतिरिक्त सिद्धेश्वरी-नूनबिल डैम बनाना था, जिसमें झारखंड के लिए डैम के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र का 10,000 एकड़ फीट पानी दुमका जिला के रानीश्वर क्षेत्र के लिए रिजर्व रखना था.
- इस एग्रीमेंट में यह भी स्पष्ट लिखा गया है कि, यदि बंगाल सरकार एग्रीमेंट का अनुपालन नहीं करती है, तो डैम के ऑर्बिट्रेटर सुप्रीम कोर्ट के जज होंगे. एग्रीमेंट हुए 40 साल बीत गये, बंगाल सरकार ने करार के मुताबिक, न तो दो नए डैम बनाए, न बिजली दे रही है और न ही पानी.