नई दिल्लीःझारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में बिहार-बंगाल को लेकर 19 जुलाई 1978 में हुए एग्रीमेंट का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि बिहार और बंगाल के बीच तय हुए इस एग्रीमेंट का पालन न तो बिहार और न ही बंगाल सरकार कर रही है.
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि मयूराक्षी, मैथन और पंचेत डैम का पूरा पानी बंगाल इस्तेमाल करता है. ये सभी डैम झारखंड की जमीन पर बने हुए हैं, लेकिन इनका पूरा पानी और बिजली बंगाल के उपयोग में आता है. आज इस एग्रीमेंट को साइन हुए 41 साल हो गए हैं, लेकिन बंगाल सरकार इसका पालन नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि इस एग्रीमेंट में यह बात तय हुई थी कि बंगाल सरकार ने अपने खर्च पर अजय नदी के बदले काली पहाड़ी डैम, मयूराक्षी नदी पर सिदेश्वरी नून डैम और बराकर पर बिल पहाड़ी डैम बनाने का वादा किया था. आज 41 साल बाद भी इस मुद्दे पर किसी भी तरह की मीटिंग नहीं की गई है. वहीं, निशिकांत दुबे ने कहा कि देवघर से निकलने वाली चानन नदी का पूरा पानी बिहार में इस्तेमाल होता है. बिहार से एग्रीमेंट साइन हुए 52 साल होने वाला है, लेकिन अब तक कोई भी पहल नहीं की गई. निशिकांत दुबे ने संसद में आग्रह किया कि इस तरह के अंतर राज्यीय विवाद, जिसमें सरकारें एग्रीमेंट को पालन नहीं कर रही हैं. उसपर भारत सरकार हस्तक्षेप करे. उन्होंने अनुरोध किया कि बंगाल में पानी रोका जाए और डैम से इनको पानी न देकर, झारखंड को पानी दिया जाए. उन्होंने कहा कि यदि झारखंड को पानी नहीं मिलेगा तो, यहां के किसान मर जाएंगे. संथाल परगना में एक साल पानी पड़ता है और 2 साल सुखाड़ होता है. हम पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं, इसलिए इस मुद्दे पर कार्रवाई की जाए और एक कमेटी बननी चाहिए. उन्होंने कहा कि या तो भारत सरकार इसमें हस्तक्षेप करे, बंगाल का पानी रोके और इन सभी डैम से इनको पानी न देकर, झारखंड को पानी दे, यदि झारखंड को पानी नहीं मिलेगा तो, यहां के किसान मर जाएंगे. संथाल परगना में एक साल पानी पड़ता है और 2 साल सुखाड़ होता है. हम पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं, इसलिए इस मुद्दे पर कार्रवाई की जाए और एक कमेटी बननी चाहिए.