रांचीः झारखंड में वज्रपात यानि आकाशीय बिजली से इस वर्ष कई लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे में राज्य के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) के अभियान निदेशक डॉ भुवनेश प्रताप सिंह ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों, जिला अस्पतालों के उपाधीक्षक के लिए दिशा निर्देश (guidelines regarding prevention of lightning) जारी किया है.
इसे भी पढ़ें- कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल की अनदेखी कर खतरे में डाली जा रही जिंदगी, इस मानसून सीजन में लोगों को नहीं दिया कोई अलर्ट
इस दिशा निर्देश में लिखा है कि विभिन्न जिलों से वज्रपात की घटना की वजह से मृत्यु की सूचना प्राप्त हो रही है. राज्य में जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन से होने वाले climate sensitive disease से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव देखा गया है. इसी क्रम में जनसमुदाय में आकाशीय बिजली से बचाव के लिए इन निर्देशों (NHM campaign director issued guidelines) का पालन करें. NHM निदेशक के भेजे पत्र में, वज्रपात कैसे हमें प्रभावित कर सकता है, इसमें डायरेक्ट स्ट्राइक, संपर्क चोट, साइड फ्लैश, ग्राउंड करंट, स्ट्रीमर और धमाके से चोट की संभावना जताई गई है और लोगों से अपील की वह भी सावधानी से बरतने की सलाह दी गयी है.
लोगों को वज्रपात से बचाने की सलाहः आम लोगों को आकाशीय बिजली और प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अभियान निदेशक ने सभी सिविल सर्जन को आदेशित किया है कि आकाशीय बिजली तूफान और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए आपातकालीन सेवा का विशिष्ट कार्य योजना बनाई जाए. वहीं पर्याप्त संख्या में मेडिकल स्टाफ और सुविधाएं सुनिश्चित की जाए. सभी जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पास जीवन रक्षक दवाएं जरूर होनी चाहिए. वज्रपात से पीड़ित व्यक्ति को तत्काल 108 एंबुलेंस से नजदीकी अस्पताल ले जाना सुनिश्चित करना जरूरी है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक के पत्र में वज्रपात के (lightning in Jharkhand) संबंध में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य का भी जिक्र किया गया है. जिसमें बताया गया है कि बाहरी गतिविधियों जैसे खेतों में लोडिंग अनलोडिंग का काम करने वाले और हैंडलिंग करने वाले स्थल हो के लोग वज्रपात से ज्यादा प्रभावित होते हैं. वही ऊंची नुकीले स्थान पर ज्यादा वज्रपात होता है. दोपहर से लेकर शाम छह बजे तक वज्रपात अधिक होता है. वज्रपात की घटना बारिश वाले जगह से 10 मील दूर तक हो सकती है.
वज्रपात या ठनका गिरने के समय मौसम खराब होने पर बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के संपर्क में ना रहें. इनका पावर प्लग निकाल दें, घर की अर्थिंग सुनिश्चित कर लें, वज्रपात के दौरान खिड़की दरवाजे बंद कर लें. स्वास्थ्य और शैक्षणिक संस्था में तड़ित चालक का उपयोग का पहल शुरू करें. कंक्रीट के फर्श पर ना लेटें, पानी के धातु पाइप से दूर रहें, खाली पैर फर्श पर खड़े ना रहें.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से जारी पत्र में घर के बाहर सुरक्षात्मक उपाय का जिक्र किया गया है. जैसे प्रवाहकीय सामग्री से बचें, लंबी संरचनाओं से बचें, विस्फोट से दूर रहें, दोपहिया वाहन से उतरकर सुरक्षित स्थान पर चले जाएं, ऊंचाई वाले स्थान से उतार नीचे चले जाएं. अगर बिजली चमकने के 10 सेकंड बाद गर्जन सुनाई देता है, इसका मतलब यह कि वो आपसे 03 किलोमीटर है.
सभी जिला के सिविल सर्जनों को यह आदेश दिया गया है कि प्राकृतिक आपदाओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव से बचाने के लिए सिविल सर्जन जागरूकता अभियान चलवाएं.