वेतन नहीं मिलने को लेकर शिक्षक का बयान रांची:एक तरफ राज्य सरकार नवचयनित 820 हाई स्कूल शिक्षकों के नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम की तैयारी में जुटी है. दूसरी ओर, मई में नियुक्ति पत्र मिलने के बाद राज्य के सरकारी हाई स्कूलों में कार्यरत करीब 3500 शिक्षकों को एक पैसा भी नहीं मिला है. इन नवनियुक्त शिक्षकों के लंबित वेतन के पीछे का कारण सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन पूरा नहीं होना बताया जा रहा है.
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इधर, वेतन के अभाव में किसी तरह काम चला रहे शिक्षकों का मानना है कि विभिन्न बोर्डों द्वारा सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन में हो रही अनावश्यक देरी से लगता है कि त्योहार भी फीका रहेगा. जिला स्कूल रांची में नियुक्त ऐसे तीन शिक्षकों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि हम सभी ऐसे शिक्षक हैं जो पहले कहीं और कार्यरत थे. अध्यापन से जुड़ाव होने के कारण यहां ज्वाइन किया, लेकिन यह नहीं पता था कि सैलरी मिलने में इतना समय लगेगा. विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक महेंद्र प्रसाद का कहना है कि इन शिक्षकों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी है. उन्होंने जो भी पूंजी बचायी थी वह खर्च हो चुकी है. अब त्योहार का समय है तो दिक्कत आना स्वाभाविक है.
वेरिफिकेशन के लिए बना शिक्षकों का ड्राफ्ट हो रहा रद्द:नवनियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के माध्यम से देश भर के विभिन्न बोर्डों और विश्वविद्यालयों में किया जाना है. आश्चर्य की बात यह है कि सर्टिफिकेट सत्यापन के लिए बनने वाला ड्राफ्ट भी इन्हीं शिक्षकों को बनाना पड़ता है. ऐसे में मैट्रिक से लेकर पीजी तक के सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिए अलग-अलग बोर्ड में ड्राफ्ट बनवाने में तीन हजार रुपये तक खर्च हो रहे हैं. उसमें भी ड्राफ्ट सहित दस्तावेज समय पर संबंधित विश्वविद्यालय तक नहीं पहुंचने पर उनके द्वारा बनाये गये ड्राफ्ट अमान्य हो जा रहे हैं. एक शिक्षक ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उन्होंने जैक बोर्ड के लिए 250 रुपये और रांची यूनिवर्सिटी के लिए 450 रुपये का ड्राफ्ट बनवाया था. इसका सत्यापन जैक के माध्यम से कराया गया था, लेकिन रांची विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित तीन माह की अवधि समाप्त होने के कारण ड्राफ्ट की वैधता समाप्त हो गयी है और अब इसे दोबारा बनाना होगा.
डीईओ कार्यालय से हुई गड़बड़ी: मई माह में रांची जिले के नवनियुक्त हाई स्कूल शिक्षकों के सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिए सरकारी विभाग की व्यवस्था का आलम यह है कि जो प्रमाण पत्र दिल्ली सीबीएसई कार्यालय भेजा जाना चाहिए था, उसे इलाहाबाद भेज दिया गया. परिणाम यह हुआ कि तीन माह बाद जब यह वापस आया तो इसमें रखे गये सभी अभ्यर्थियों के ड्राफ्ट अवैध घोषित कर दिये गये. अंत में प्रमाण पत्रों को सत्यापन के लिए दिल्ली सीबीएसई कार्यालय भेजा जा रहा है. इन सबके बीच सरकार ने फैसला लिया है कि जब तक प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हो जाता, तब तक वेतन शुरू नहीं किया जायेगा. ऐसे में सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का एक साथ सत्यापन कराने में स्वाभाविक तौर पर समय लगेगा, तभी वेतन शुरू हो सकेगा.