रांची: एक बार फिर झारखंड में खेल नीति को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है. सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर खेल महकमे के तमाम पदाधिकारियों ने नई खेल नीति के प्रारूप को तैयार भी कर लिया है. बस इंतजार है सीएम हेमंत सोरेन की हरी झंडी देने की. पहली बार तत्कालीन खेल मंत्री बंधु तिर्की के नेतृत्व में साल 2007 में झारखंड में खेल नीति बनाई गई थी. उसके बाद अब तक खेल नीति की ओर किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया था.
खेल नीति बनाए जाने पर रुचि
राज्य में खेल नीति को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गया है. विभिन्न खेल एसोसिएशन भी खेल नीति को लेकर अपनी-अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खिलाड़ियों के भविष्य को उज्जवल देखना चाहते हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खेल और खिलाड़ियों के मामले में संजीदगी दिखाते आ रहे हैं. उनसे सभी को उम्मीद भी है. हालांकि, खेल नीति को लेकर अब तक सिर्फ राजनीति ही होती आई है. राज्य में पहली बार 2007 में खेल नीति बनी थी. उस दौरान यूपीए गठबंधन की सरकार थी. खेल मंत्री बंधु तिर्की थे और उन्होंने पहली बार खेल नीति बनाए जाने पर रुचि दिखाई थी.
सरकारी नौकरी में नीति बनाकर अवसर देने की बात
साल 2007 के खेल नीति के तहत खिलाड़ियों के लिए कुछ अच्छे प्रावधान जरूर किए गए थे. नीति के अनुसार सरकार के विभिन्न विभागों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उम्दा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दो फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा. नौकरी में प्राथमिकता मिलेगी. सही मायने में ऐसा साल 2014 तक नहीं हो पाया था. रघुवर सरकार ने भी राज्य से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में नीति बनाकर अवसर देने की बात कही थी. 5 साल गुजर जाने के बाद इस सरकार ने इस ओर ध्यान बिल्कुल ही नहीं दिया.
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खेल नीति में गड़बड़ी
इससे पहले भी खेल नीति की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता रहा है. साल 2014 में यूपीए गठबंधन की सरकार थी. सरकार की ओर से साल 2007 में बनाए गए खेल नीति का संशोधन भी किया गया था. उस दौरान हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे. मुख्यमंत्री के उस कार्यकाल में पांच खिलाड़ियों को पुलिस विभाग में रोजगार मिला था. झारखंड सरकार की खेल नीति स्पष्ट नहीं होने के कारण कई होनहार खिलाड़ी रेलवे के अलावा विभिन्न विभागों की ओर से खेल रहे हैं और कभी-कभी तो झारखंड के खिलाड़ी के खिलाफ ही मैदान में डटे दिखते हैं. यह भी खेल नीति में गड़बड़ी के कारण ही हुई है.
खिलाड़ियों का भविष्य संवारने की कोशिश
रघुवर सरकार के खेल मंत्री अमर कुमार बाउरी ने भी खेल नीति को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कही थी, लेकिन उन्होंने भी खिलाड़ियों के उत्थान को लेकर इस नीति को बनाने की जहमत नहीं उठाई. तत्कालीन खेल मंत्री अमर कुमार बाउरी हर बार यह कहते रहे कि रघुवर सरकार नई खेल नीति बनाकर खिलाड़ियों के भविष्य संवारने की काम करेगी, लेकिन 2015 से 19 के बीच खेल नीति को लेकर रघुवर सरकार ने कोई ठोस पहल नहीं की. इस वजह से अब तक खेल नीति अटका पड़ा है.