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झारखंड हाई कोर्ट में नई शराब नीति को चुनौती, सरकार से अदालत ने मांगा जवाब

झारखंड सराकर(Jharkhand Govt.) की नई शराब नीति को झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में चुनौती दी गई है. कोर्ट ने इस याचिका को सुनने के लिए बुधवार को स्वीकार कर लिया. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने का निर्देश दिया है. मालमे की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट में नई शराब नीति को चुनौती

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Published : Jul 14, 2021, 10:35 PM IST

रांचीः झारखंड सरकार की ओर से थोक शराब बिक्री को लेकर नई नियमावली बनाई गई है. इस नियमावली को रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर बुधवार को झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया है. अदालत ने मामले में सुनवाई को लेकर चार सप्ताह बाद का समय निर्धारित की है. इसके साथ ही राज्य सरकार को विस्तृत बिंदुवार शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन (Chief Justice Dr. Ravi Ranjan) और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने-अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े और अपना पक्ष रखा. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार से चार सप्ताह में अपना विस्तृत जवाब शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने को कहा है.

जानकारी देते अधिवक्ता

नियम संगत नहीं है नियमावली

अब राज्य सरकार मामले में क्या जवाब देती है, जिसपर हाई कोर्ट का क्या फैसला होगा. यह चार सप्ताह बाद ही पता चलेगा. हालांकि, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को जानकारी दी कि सरकार की ओर से थोक शराब बिक्री को लेकर बनाई गई नई नियमावली नियम संगत नहीं है.

नई नियमावली पर नहीं लिया गया दावा-आपत्ति

झारखंड रिटेल लीकर वेंडर एसोसिएशन के अध्यक्ष अचिंत्य साव ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. दायर याचिका में कहा गया है कि नई नियमावली नियम संगत नहीं है. इसमें कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है. एक्साइज एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत बनने वाली नई नियमावली से पहले दावा-आपत्ति देना अनिवार्य है. इस आपत्ति को कैबिनेट भेजा जाता है, जहां सहमति मिलने पर नियमावली की अधिसूचना जारी की जाती है. लेकिन, सरकार ने आपत्ति मंगाने की प्रक्रिया का पालन नहीं की है. दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि एक्साइट एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत पहले ही एक नियमावली बनी है. जब तक पहला नियमावली हटाया नहीं जाता है, तब तक नई नियमावली नहीं बनाई जा सकती है.

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