झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

झारखंड रही है सुभाष चंद्र बोस की कर्मभूमि, 'नेताजी' का रांची से रहा है अटूट रिश्ता - रांची के लालपुर में रूके थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस

भारत माता के वीर सपूत सुभाष चंद्र बोस का झारखंड से गहरा नाता रहा है. 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा' नारे के साथ नेताजी ने देश का आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई. नेताजी का झारखंड से भी गहरा रिश्ता रहा है. रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन से पहले नेताजी रांची में 5 दिनों तक रूके थे.

झारखंड रहा है सुभाष चंद्र बोस का कर्मभूमि, 'नेताजी' का रांची से रहा है अटूट रिश्ता
रांची में नेताजी की प्रतिमा

By

Published : Jan 23, 2020, 1:36 PM IST

Updated : Jan 23, 2020, 1:43 PM IST

रांचीः नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को पूरे देश में मनाया जाती है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कार्यकलाप आदेश के तहत राज्य में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का कर्मभूमि झारखंड भी रही है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1939 में रांची आए थे और वहीं से रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए थे.

देखें पूरी खबर

कोल्हान में भी की थी सभाएं

झारखंड से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जुड़ा काफी गहरा रहा है. 1939 में राजधानी रांची के लालपुर स्थित फणीद्रनाथ आयकत के घर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस 5 दिनों तक रुके थे और रामगढ़ में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में शामिल होने गए थे. साल 1939 में जमशेदपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर पोटका के कालिकापुर में रहकर नेताजी ने लोगों को स्वतंत्रा आंदोलन के लिए प्रेरित किया था और कोल्हान के विभिन्न हिस्सों में लोगों को संगठित करने के लिए सभाएं की थी.

और पढ़ें- ETV BHARAT IMPACT: स्कूल के बच्चों को मिला एडमिट कार्ड, छात्र छात्राओं ने कहा-धन्यवाद

लालपुर में बांग्ला परिवार के घर रुकते थे

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब नेता जी सुभाष चंद्र बोस कोलकाता से नजरबंद थे, तब वह जमशेदपुर गए थे और ट्रेड यूनियन के लोगों से मुलाकात की थी. जब भी वह रांची आते थे तो लालपुर में एक बंगाली परिवार के घर में रुका करते थे. उसके साथ ही रांची से जुड़ा हुआ कई उनका प्रमाण आज भी मिलते हैं. अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था और देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.

आदिवासियों को एकजुट करने में लगे थे

डीएसपीएमयू के कुलपति एसएन मुंडा ने बताया कि रांची से सुभाष चंद्र बोस का काफी गहरा लगाव रहा है. वह आदिवासियों को एकजुट करने के लिए बुंडू में भी गए थे. कांग्रेस के रामगढ़ में होने वाले अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस पहुंचे थे रांची में लालपुर स्थित डॉ सिद्धार्थ मुखर्जी के पिता क्रांतिकारी यदु गोपाल मुखर्जी से भी वे मशवरा लिया करते थे. झारखंड में रहने वाले बंगाली समाज के लोग और बांग्ला भाषी समुदाय नेताजी को इन्हीं कारणों से लगातार याद रखते हैं. भारत माता के महानतम स्वतंत्रता सेनानी में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम युगो युगो तक इतिहास में अमर रहेगा.

Last Updated : Jan 23, 2020, 1:43 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details