रांचीःझारखंड की राजधानी रांची देश के ऐसे शहरों में शामिल है, जहां नाले तक में डूबने से बच्ची की मौत हो जाती है. इतना ही नहीं राजधानी कुछ महीने पहले तब भी सुर्खियों में छाई रही जब ज्यादा बारिश की वजह से बाइक समेत नाले में बह जाने के बाद लापता हुए एक व्यक्ति का महीनों से कोई सुराग नहीं मिल पाया. इन घटनाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजधानी के नाले बड़ी घटनाओं को लगातार दावत दे रहे है, लेकिन अब तक इन मौत के नालों से बचाव के लिए ठोस व्यवस्था नहीं हो पाई है.
5 वर्षीय बच्ची की नाले में गिरने से हुई थी मौत
राजधानी में 24 जुलाई 2019 को शहर के हिंदपीढ़ी इलाके के नाला रोड में रहने वाली 5 वर्षीय बच्ची फलक अख्तर की नाले में गिरने से मौत हो गई थी. बड़ा नाला पर कल्वर्ट खुला हुआ था, जहां से गुजरते वक्त बच्ची फिसल गई और पानी की तेज धार की वजह से बच्ची 8 किलोमीटर दूर बहकर चल गई.
कड़ी मशक्कत के बाद बच्ची के शव को बरामद किया गया. नाले की वजह से दुर्घटना का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ. पिछले ही वर्ष लालपुर के लोअर वर्धमान कंपाउंड पाहन कोचा के रहने वाले अनिल उरांव का डेढ़ वर्ष का बेटा अखिल उरांव नगर निगम के खुले नाले में बह गया. हालांकि उसकी मां ने करीब 30 फीट की दूरी पर बहते बेटे को पकड़ कर निकाल लिया, जिसके बाद बच्चे को अस्पताल ले जाया गया और उसकी जान बच गई.
जलजमाव की समस्या के लिए कोई कार्रवाई नहीं
वहीं, इस वर्ष 8 सितंबर को कोकर इलाके के खोरहाटोली नाले में उमेश राणा नाम का एक व्यक्ति बाइक के साथ बह गया. भारी बारिश के कारण नाला भरा हुआ था. एनडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, लेकिन उसका पता नहीं चल पाया, जबकि वहां के स्थानीय लोग बरसात के दौरान जलजमाव की समस्या से नगर निगम को अवगत कराते रहे, लेकिन जलजमाव की समस्या के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई थी, जिसकी वजह से बड़ी दुर्घटना हुई.
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बड़े नालों को ढकने का काम
इसके साथ ही राजधानी में सीवरेज ड्रेनेज के पहले फेज के काम की वजह से सड़क के बीचों बीच गढ्ढे करने के बाद लगाए गए ढक्कन का लेबल भी सड़क के बराबर नहीं है. जिसकी वजह से आने जाने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई बार दुर्घटनाएं भी होती हैं. ऐसे में शहर की मेयर आशा लकड़ा ने कहा है कि 15वें वित्त आयोग की राशि से बड़े नालों को ढकने का काम किया जा रहा है. साथ ही सीवरेज ड्रेनेज के कार्य को सही तरीके से व्यवस्थित करने की भी तैयारी चल रही है.
बड़े नालों को ढकने के लिए कार्रवाई
वहीं, राजधानी में नाली में डूबकर बच्ची की मौत मामले में नाले को ढकने के लिए हाईकोर्ट में पीआईएल भी दर्ज किया गया है, जिसकी सुनवाई लगातार हो रही है और नाली ढकने का आदेश भी दिया गया है. हालांकि कोविड-19 से अब तक नालों को ढकने का काम पूरी तरह से नहीं हो पाया है.
ऐसे में उप नगर आयुक्त शंकर यादव ने कहा कि नगर निगम दो तरीके से काम कर रहा है. बड़े नालों को ढकने के लिए कार्रवाई की जा रही है. वहीं, ज्यादा बड़े नालों का घेराव करते हुए आस-पास के लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शहर के 6-7 खतरनाक बड़े नालों को चिंहित किया गया है. जिसे ढकने की कार्रवाई की जा रही है.