रांची:झारखंड में नक्सलवाद का दिया बुझने की कगार पर है. यही वजह है कि मात्र कुछ क्षेत्रों में बचे नक्सली कैडर और कमांडर छिटपुट घटनाओं को अंजाम देकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का प्रयास कर रहे हैं. लातेहार, लोहरदगा, गुमला और चतरा जैसे इलाकों में नक्सलियों के द्वारा कुछ जगहों पर आगजनी की घटनाओं को सिर्फ इसलिए अंजाम दिया गया है ताकि उन्हें लेवी मिल सके. लातेहार में छोटू खेरवार और रविन्द्र गंझू का दस्ता बचा हुआ है. उसमें भी मात्र 10 से 15 लोग हैं.
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झारखंड पुलिस के जवान और केंद्रीय एक साथ मिलकर रविंद्र और छोटू खेरवार की खोज में जुटे हुए हैं. एक तरफ जहां रविंद्र और छोटू के दस्ते के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है वहीं, दूसरी तरफ लेवी पर ब्रेक लगाने के लिए पुलिस की टीम ग्रामीणों और कारोबारियों के बीच पहुंचकर उन्हें समझाने का भी काम कर रही है. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल होमकर ने बताया कि नक्सलियों के द्वारा कुछ एक जगहों पर जो घटनाएं की गईं हैं वह सब उनके बौखलाहट का नतीजा है.
लगातार मिल रही सफलताएं:झारखंड में भाकपा माओवादी और अन्य उग्रवादी संगठनों के खिलाफ अभियान में बड़ी सफलताएं मिली हैं. राज्य पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 से अबतक अभियान के दौरान राज्य में कुल 4700 उग्रवादी गिरफ्तार हुए हैं. दर्जनों नक्सली पुलिस की कार्रवाई में मारे गए हैं. वहीं, 54 से ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. वह भी मात्र 5 सालों के भीतर. बूढ़ा पहाड़ जैसे नक्सलियों के गढ़ पर पुलिस का कब्जा है. वहां विकास का कार्य किया जा रहा है. इस वजह से नक्सली वहां पर पहुंच भी नहीं पा रहे हैं.
बचे हुए नक्सलियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा: पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पिछले 5 सालों में नक्सलियों की करोड़ों रुपए की संपत्ति जब्त की है. यही वजह है कि कुछ क्षेत्रों में बचे हुए नक्सली वारदातों को अंजाम देकर अपनी धमक बनाने की कोशिश कर रहे हैं. आईजी अभियान के अनुसार बचे हुए नक्सलियों को भी किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा वे अगर समझ रहे हैं कि पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाएगी तो यह उनकी भूल है.
फॉरेस्ट ट्रैकर पूर्व में था नक्सलियो का मददगार:वहीं, 2 दिन पूर्व लातेहार जिले में जिस नेतरहाट में फॉरेस्ट ट्रैकर नक्सलियों ने पीट-पीटकर मार डाला था. उसके बारे में यह जानकारी मिली है कि वह पूर्व में नक्सलियों का सहयोगी था. पुलिस के पूछताछ में ग्रामीणों ने यह जानकारी दी है. फॉरेस्ट ट्रैकर की हत्या में छोटू खेरवार दस्ते का ही हाथ था. मिली जानकारी के अनुसार छोटू को यह अंदेशा था कि फॉरेस्ट्रा ट्रैकर ही पुलिस को उनके बारे में जानकारी उपलब्ध करवा रहा है. यही वजह है कि फॉरेस्ट ट्रैकर सहित उसके तीन भाइयों की नक्सलियों ने पिटाई की थी जिसमें उसकी मौत हो गई थी.