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लॉकडाउन में गड़बड़ाया नक्सलियों का बजट, पैसे कमाने के लिए हुए हमलावर, पुलिस ने भी बढ़ाई दबिश

लॉकडाउन के कारण नक्सलियों का कमाई बंद हो गई. इससे बौखलाए नक्सली अब कंस्ट्रक्शन कंपनियों के साइट पर हमला और आगजनी कर अपने खौफ कायम कर मोटी रकम वसूलने के प्रयास में लग गए हैं. नक्सली संगठन को जो भी कंपनी लेवी नहीं पहुंचा रहा है वो अब निशाने पर आ गए हैं. नक्सली गतिविधि को लेकर झारखंड पुलिस भी पूरी तरह से अलर्ट मोड में आ गई है.

Naxali earning stopped in lockdown
फाइल फोटो

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Published : May 16, 2020, 8:51 PM IST

Updated : May 18, 2020, 10:14 AM IST

रांची: झारखंड में नक्सलियों के सामने घोर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. पहले नोटबंदी ने उनकी कमर तोड़ी और अब लॉकडाउन के कारण नक्सलियों के पास लेवी की रकम नहीं पहुंच पा रही हैॉ नतीजा नक्सली अचानक हमलावर हो गए हैं और कंस्ट्रक्शन कंपनियों के साइट पर हमला और आगजनी कर अपने खौफ कायम कर मोटी रकम वसूलने के प्रयास में लग गए हैं. जो ठेकेदार उन तक पैसे नहीं पहुंचा रहे हैं थे वे नक्सलियों के टारगेट में हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
2020 की कमाई की उम्मीद पर फिर गया पानीसुरक्षाबलों के हाथों लगातार शिकस्त झेल रहे नक्सली झारखंड में अपनी पैठ को मजबूत करने के लिए साल 2020 को एक नई उम्मीद के साथ देख रहे थे. नक्सली संगठनों को उम्मीद थी कि इस बार अपने खौफ के बदौलत करोड़ों की कमाई कर अपने संगठन को मजबूत कर लेंगे. खासतौर पर नोटबंदी की मार से हुई नुकसान की भरपाई के लिए नक्सलियों ने उगाही के नए रास्ते खोजने के लिए दो सालों से अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण देशभर में हुए लॉकडाउन ने नक्सलियों के इस मंसूबे पर काफी हद तक पानी फेर दिया है.

झारखंड सहित देशभर में उद्योग धंधे बंद हैं. कंस्ट्रक्शन, पुल - पुलिया और सड़क का निर्माण कार्य भी बंद है. इन उद्योग धंधों से नक्सलियों की मोटी कमाई हुआ करती थी , लेकिन लॉकडाउन के दौरान जो सूचनाएं मिल रही है, उसके अनुसार ठेकेदारों ने आमदनी नहीं होने की वजह से नक्सलियों को पैसे देने से इनकार कर दिया है. नतीजा अब नक्सली हमलावर हो गए हैं और ताबड़तोड़ कंस्ट्रक्शन साइट पर हमला कर कंस्ट्रक्शन कंपनियों के वाहनों को आग के हवाले कर रहे हैं. झारखंड के पलामू में इसी सप्ताह दो बड़ी घटना को अंजाम दिया गया है. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान साकेत सिंह के अनुसार नक्सली अक्सर साल के जनवरी-फरवरी और मार्च महीने में कंस्ट्रक्शन साइट पर हमला करते हैं, ताकि उनतक रकम पहुंचती रहे, इस बार यह हमला लॉकडाउन में किया जा रहा है, वजह साफ है कि उनके पास पैसे की कमी है और वे अपने संगठन को चलाने के लिए किसी भी हद तक जाकर पैसे कमाना चाहते हैं.



बजट हुआ प्रभावित
नक्सल सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है माओवादियों के सेंट्रल कमेटी ने अकेले झारखंड में नक्सलियों का सालाना बजट इस बार 5 सौ करोड़ से बढ़ा कर 8 सौ करोड़ तक कर दिया है. इसके लिए नक्सली आय के नए स्त्रोत तलाश कर रहे हैं. हालांकि सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए उनकी आय के मुख्य स्त्रोत अफीम की खेती और तेंदू पत्ता से होने वाली आमदनी पर रोक लगानी शुरू कर दी है. लॉकडाउन के दौरान भी झारखंड में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ जबरदस्त हल्ला बोला है. एक सिरे से सुरक्षा बलों का दस्ता एंटी नक्सल ऑपरेशन को अंजाम दे रहा है तो दूसरे सिरे से पुलिस और सुरक्षा बलों के जवान नक्सलियों के आर्थिक स्त्रोतों को तोड़ने में जुटे हुए हैं. इसके लिए नक्सलियों को सबसे अधिक आमदनी देने वाली नशे की पैदावार (अफीम ) पर जोरदार हमला अभी भी जारी है. आईजी अभियान साकेत कुमार सिंह के अनुसार कुछ घटनाएं जरूर झारखंड में नक्सलियों ने अंजाम दिया है, लेकिन पुलिस की कार्रवाई भी इसमें जारी है और लगातार नक्सलियों की गिरफ्तारी हो रही है.


तेंदू पत्ता की आमदनी भी घटी
झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में नक्सलियों की कमाई का एक बड़ा जरिया तेंदूपत्ता भी है. दरअसल अप्रैल, मई और जून माह के पहले हफ्ते तक जंगलों से तेंदू पत्ता संग्रहण करने वाले ग्रामीण हजारों रूपये कमाते हैं. उन्हें प्रत्येक तेंदू पत्ता के मानक बोरे के एवज में 18 सौ रूपये मिलते हैं. इस दौरान प्रत्येक ग्रामीण परिवार रोजाना एक से दो बोरा तेंदू पत्ता इकठ्ठा कर लेता है. उन्हें मिलने वाली रकम में प्रत्येक मानक बोरा के हिसाब से नक्सलियों को दो सौ रूपये तक चुकाने होते हैं. इससे करोड़ों की रकम नक्सलियों की झोली में आ जाती है, वो भी नगद में, लेकिन एक कोरोना संक्रमण से तेंदू पत्ता का काम सीजन में ही बंद है ,दूसरा अब तेंदू पत्ता संग्रहण करने वाले ग्रामीणों को नगद भुगतान करने के बजाए उनके जनधन अथवा सामान्य खातों में जमा कराने के निर्देश वन विभाग को दे दिए गए हैं. ऐसे में यहां से भी नक्सलियों की आमदनी लगभग खत्म हो गई है.

लॉकडाउन में इन जगहों से भी बन्द हुई नक्सलियों की आमदनी

इसके अलावा फॉरेस्ट प्रोडक्ट, बांस और इमारती लकड़ियों के ठेकेदारों से भी नक्सली मोटी रकम वसूलते हैं. झारखंड के ट्रांसपोर्टर, बस संचालकों, उद्योगपतियों और आम व्यापारियों से भी प्रोटेक्शन मनी के नाम पर हर माह लाखों की उगाही होती रही है. इस तरह से मिलने वाली रकम से नक्सली ना केवल अपना कैडर चलाते हैं, बल्कि असलहा और बारूद भी खरीदते हैं, लेकिन पिछले 52 दिनों से यह सभी उद्योग धंधे बंद पड़े हैं, नतीजा नक्सलियों को यहां से होने वाली आमदनी भी अब शून्य हो गई है.

बड़े हमले की आशंका ,अलर्ट पर पुलिस
एक तरफ पुलिस लॉकडाउन के दौरान भी नक्सलियों को कोई मोहलत देने के मूड में नहीं है तो दूसरी तरफ, नक्सलियों ने भी अपने आर्थिक मोर्चे को मजबूत बनाने में पूरी ताकत झोंक दी है. उन्होंने पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर लगातार हमला करने की साजिश भी रची है. इसके तहत नक्सली कई इलाकों में पुलिस पार्टी को निशाना बनाने की कोशिश भी कर चुके हैं, लेकिन पुलिस की सतर्कता की वजह से नक्सली अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाए. खुफिया सूचना मिलने के बाद झारखंड के सभी जिले को अलर्ट कर दिया गया है. रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता ने बताया कि खुफिया सूचना के आधार पर नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. नक्सल इलाके में लगातार सतर्कता बरती जा रही है.

Last Updated : May 18, 2020, 10:14 AM IST

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