रांची:राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर हर साल झारखंड में हॉकी से जुड़े कई खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होता आया है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण प्रतियोगिताएं आयोजित नहीं हो रही है. हालांकि, हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती को लोग अपने तरीके से जरूर मना रहे हैं. झारखंड के खेल प्रेमी और हॉकी से जुड़े तमाम लोग हॉकी के जादूगर धुरंधर खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती मना रहे हैं.
कोरोना वायरस के कारण खेल जगत में उदासी
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का आज जन्मदिन है. ध्यानचंद के जन्मदिन को देश भर में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण खेल जगत में उदासी है. हर कोई चाहता है कि स्टेडियम जाए और इस दिन को दिल खोलकर मनाए, लेकिन इस बार कोरोना के प्रकोप के कारण कुछ भी संभव नहीं है. इसके बावजूद हॉकी के धुरंधरों और खेल प्रेमियों ने मेजर ध्यानचंद को नमन किया है. मेजर ध्यानचंद 16 साल की उम्र में भारतीय सेना के साथ जुड़े थे. ध्यानचंद को बचपन में कुश्ती पसंद थी, लेकिन भारतीय सेना से जुड़ने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया. हॉकी खेलने का उन्हें इस कदर जुनून था कि वह घंटों तक हॉकी की प्रैक्टिस किया करते थे और विश्व पटल पर हॉकी के जादूगर के नाम से उभर कर सामने आएं.
29 अगस्त राष्ट्रीय खेल दिवस
हर साल उन्हीं की याद में 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस भारत में मनाया जाता है. ध्यानचंद के जन्मदिन पर खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार खेल दिवस के मौके पर दिए जाते हैं. हॉकी के मैदान में मेजर ध्यानचंद का प्रदर्शन लोगों को चौंकाने वाला लगता था. उनका प्रदर्शन लोगों को जादू सा लगता था. 1928 ओलंपिक गेम्स में उन्होंने भारत की ओर से सबसे ज्यादा 14 गोल किए थे. उसी दौरान यह कहा गया था कि ये हॉकी नहीं, बल्कि ध्यानचंद का जादू था और वह हॉकी के जादूगर हैं और इसी हॉकी के जादूगर को झारखंड के हॉकी प्लेयर किसी भगवान से कम नहीं समझते हैं.