रांचीः कोरोना काल (Corona pandemic) में अपने माता-पिता को खोने के कारण अनाथ हुए बच्चों के पुर्नवास और देख रेख को लेकर शनिवार को राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला का आयोजन बाल कल्याण संघ (Child Welfare Association) ने किया था. जिसमें झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, मिजोरम और मध्य प्रदेश राज्य के कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
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आयोग की ओर से एक पॉलिसी तैयार
बाल कल्याण संघ के सचिव एवं सीएसओ स्टैंडिंग कमेटी नीति आयोग के सदस्य संजय कुमार मिश्र ने कहा कि आगामी 2 जून को नीति आयोग (NITI Aayog) की ओर से कोरोना से प्रभावित या कोरोना से अपने माता पिता को खोने के कारण अनाथ हुए बच्चों की देख रेख के लिए आयोग की ओर से एक पॉलिसी तैयार की जा रही है. जिसमें राज्यों की ओर से किए जा रहे पहल और ऐसे बच्चों को संरक्षित करने पर विचार किया जाएगा. इस विषय पर सरकार गंभीरता से एक पॉलिसी तैयार करना चाहती है.
बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए पॉलिसी
नीति आयोग के सदस्य संजय कुमार मिश्र ने बताया कि नीति आयोग की ओर से बाल कल्याण संघ (Child Welfare Association) को कोरोना काल (Corona pandemic) में माता पिता से असमय बिछड़े बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए पॉलिसी तैयार करने के लिए आमंत्रित किया गया है. जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों से मिले सुझाव को 2 जून 2021 को नीति आयोग की ओर से आयोजित बैठक में बाल कल्याण संघ की ओर से रखा जाएगा.
फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को आगे आकर कार्य करने की आवश्यकता
कार्यक्रम के पहले सत्र को संबोधित करते हुए महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग झारखंड सरकार के विशेष सचिव डॉ डीके सक्सेना ने कहा कि कोरोना से माता-पिता दोनों का देहांत या किसी एक का देहांत या इलाजरत हैं या आइसोलेट है. इस तरह के बच्चों को देखभाल के लिए सरकार ही नहीं अपितु गैर सरकारी संस्थान के साथ हर एक फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को आगे आकर कार्य करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हम सभी को आज एक साथ मिलकर इस महामारी से बच्चों को सुरक्षित करने की ओर कदम बढ़ाना चाहिए.
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बिहार में ऑर्फन बच्चों का एक सर्वेक्षण
इस मौके पर एटसेक बिहार चैप्टर के राज्य समन्वयक वाई. के. गौतम ने कहा कि बिहार राज्य में ऑर्फन बच्चों का एक सर्वेक्षण होना चाहिए. इन बच्चों को कैसे सुरक्षित किया जाए इस पर एक मजबूत नीति निर्धारण तैयार होना चाहिए. ताकि इन बच्चों को सुरक्षित बचपन के साथ भविष्य में एक अच्छे नागरिक के तौर पर प्रस्तुत किया जा सके. विज्ञान फाउंडेशन उत्तर प्रदेश के सचिव संदीप खरे ने कहा कि बच्चों के लिए स्पेशल विद्यालय में बच्चों का नामांकन और उन्हें पूरी सुविधाएं देने की आवश्यकता है.
नीति आयोग को करना चाहिए पहल
पश्चिम बंगाल एटसेक साउथ एशिया के अध्यक्ष मानवेंद्रनाथ मंडल ने कहा कि बच्चों का सर्वेक्षण पहली प्राथमिकता है. जब तक हमारे पास एक वास्तविक डाटा नहीं आ जाता तब तक हम बच्चों के लिए क्या कर सकते है, इस पर कुछ नीति निर्धारण करना थोड़ा मुश्किल कार्य है. असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ने बताया कि कोरोना काल में जिन बच्चों के माता-पिता का देहांत हुआ है, उन बच्चों को तत्काल सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता है. इस पर नीति आयोग को पहल करनी चाहिए.