रांची: कुपोषण की समस्या से निजात पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय पोषण मिशन के अंतर्गत 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय कुपोषण सप्ताह मनाया जा रहा है. झारखंड में भी लोगों के बेहतर स्वास्थ्य और पोषक तत्व को लेकर 1 सितंबर से इस अभियान को चलाया जा रहा है, ताकि राज्य में कुपोषण की समस्या को पूरी तरह समाप्त किया जा सके.
जानकारी देते राष्ट्रीय पोषण मिशन के निदेशक झारखंड में पोषण माह की शुरुआत होने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि कुपोषण राज्य के लिए एक बड़ी समस्या है और कुपोषण मुक्त झारखंड बनाना हमारा लक्ष्य है. राज्य में कुपोषण से बचने के लिये राज्य और केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है.
इसे भी पढ़ें:-झारखंड के इस टीचर को सलाम, नहीं हैं दोनों हाथ फिर भी संवार रहे बच्चों का भविष्य
113 जिला में कुपोषण का शिकार
जानकारी के अनुसार पूरे देश में 113 जिला में कुपोषण का शिकार पाया गया है, जिसमें झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम जिला चौथे स्थान पर है. यहां करीब दो लाख आदिवासी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, इनमें से लगभग 35 हजार बच्चे गंभीर कुपोषित हैं. पूरे झारखंड में लगभग 42% बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.
कुपोषण राज्य के लिए बड़ी समस्या
कुपोषण जैसी बड़ी समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन के निदेशक डीके सक्सेना ने बताया कि कुपोषण राज्य के लिए एक बड़ी समस्या है, इससे निपटने के लिए राज्य सरकार कई योजनाओं को क्रियान्वयन कर रही है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की तरफ से पूरे सितंबर महीने में पोषण माह चलाया जा रहा है, जिसमें नेशनल न्यूट्रिशन मिशन के अंतर्गत जो भी राष्ट्रीय कार्यक्रम है वह लोगों के बीच जाकर उन्हें भोजन में पोषक तत्व को लेकर जानकारी दी जा रही है. निदेशक डीके सक्सेना ने बताया कि कुपोषण से लड़ाई के लिए हम लोगों को जन आंदोलन लाना होगा तभी राज्य को कुपोषण मुक्त बना सकते हैं.
आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहिया को विशेष ट्रेनिंग
आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहिया को इसके लिए विशेष ट्रेनिंग दी गई है, ताकि ये सभी गरीब और सुदूर आदिवासी इलाकों में जाकर पोषक आहार के बारे में लोगों को जानकारी दे सके. आदिवासी इलाके में रह रहे गर्भवती माताओं और बहनों को भोजन में पोषक तत्वों की जानकारी देने से कुपोषण पर नियंत्रण किया जा सकता है, क्योंकि यदि गर्भवती महिलाओं को पोषणयुक्त आहार दिया जाए तो गर्भवती महिलाओं से जन्म लेने वाले बच्चे भी कुपोषण मुक्त रह पाएंगे.
क्या हैं कुपोषण के कारण
- अशिक्षित होने की वजह से गरीब और जंगली इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को पोषण आहार की सही जानकारी नहीं मिल पाती है.
- कम उम्र में ही लड़कियों और लड़कों की शादी भी कुपोषण का बड़ा कारण है.
- पीने के लिए गंदा पानी और स्वास्थ्य सुविधा में लापरवाही सहित अन्य कई कारण भी कुपोषण की वजह बन सकते है.
देश के साथ-साथ राज्य में भी कुपोषण बड़ी समस्या है, जिसको लेकर सरकारी स्तर पर कई योजनाएं चल रही है और सरकार झारखंड को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए लगातार काम कर रही है.