रांची: आदिवासी संगठन के लोग अपनी धार्मिक पहचान की मांग को लेकर दो भागों में बंटते नजर आ रहे हैं. एक तरफ सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आदिवासी समाज आंदोलनरत है तो वहीं दूसरी ओर आदिवासी धर्मकोड की मांग की जा रही है. इसी धार्मिक पहचान की मांग को लेकर इन दिनों आदिवासी संगठन के प्रतिनिधियों से राय मशवरा किया जा रहा है, जिससे केंद्र में प्रमुखता से बात रखी जा सके. इसको लेकर रांची में एक राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ. इसमें राष्ट्रपति से मुलाकात करने पर सहमति बनी.
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सरना धर्मावलंबियों की संख्या 41 लाख के पार
इसी संदर्भ में देश भर से आए 32 आदिवासी समुदाय के जनप्रतिनिधियों को लेकर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन पुराने विधानसभा सभागार में किया गया. इसमें आदिवासी कोड की मांग को लेकर रणनीति तैयार की गई. बैठक के दौरान आदिवासी जनप्रतिनिधियों ने बताया कि झारखंड से लेकर अंडमान निकोबार तक आदिवसी धर्म के लोग रहते हैं. झारखंड में सरना धर्मावलंबियों की संख्या 41 लाख के पार है. वहीं, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गोवा तक आदिवासियों की संख्या है. बावजूद इसके उन्हें आदिवासी धर्म कोड का कॉलम नहीं उपलब्ध कराया गया है. संगठन ने मांग की है कि देशभर में 12 करोड़ आदिवासी हैं. उनकी धार्मिक आस्था दूसरों से अलग है. इसलिए उन्हें धर्मकोड उपलब्ध कराया जाए. इसको लेकर एक प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रपति से मुलाकात करेगा.