रांची: झारखंड सरकार के खेल प्राधिकरण द्वारा संचालित हॉकी एक्सीलेंस सेंटर की हालत अब तक नहीं सुधरी है. इस सेंटर को 3 साल पहले शुरू किया गया था लेकिन, अभी तक यहां के प्रशिक्षु खिलाड़ी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. यह खुद इस सेंटर के कर्ता-धर्ता एडमिनिस्ट्रेटर कम चीफ कोच के रूप में सेवा दे रहे द्रोणाचार्य अवॉर्डी नरेंद्र सैनी ने कहा है. 22 साल से अधिक समय से वे झारखंड के हॉकी के लिए सेवा दे रहे हैं. कई बार पत्राचार करने के बाद कोई पहल नहीं होने पर आखिरकार उनका दर्द छलका है.
खेल विभाग का हॉकी एक्सीलेंस सेंटर है समस्याओं से घिरा, मुख्य कोच द्रोणाचार्य अवार्डी नरेंद्र सैनी का छलका दर्द - ETV Bharat
झारखंड सरकार के खेल विभाग की ओर संचालित हॉकी एक्सीलेंस सेंटर के शुरू हुए तीन साल हो गए हैं लेकिन, अब तक इसकी हालत नहीं सुधरी है. यहां के प्रशिक्षु खिलाड़ियों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं. इसके अलावा सेंटर कई समस्याओं से घिरा है. कई बार झारखंड खेल प्राधिकरण को इस सेंटर की परेशानियों के संबंध में बताया गया. इसके बावजूद इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.
साल 2019 में हुई थी शुरुआत: दरअसल, हॉकी को झारखंड में एक नया आयाम देने के उद्देश्य से साल 2019 के शुरुआती दौर में वर्तमान खेल मंत्री अमर कुमार बाउरी ने हॉकी एक्सीलेंस सेंटर का उद्घाटन किया था. उस दौरान कहा गया था कि एक्सीलेंस सेंटर को हॉकी के नर्सरी के तौर पर खिलाड़ियों के लिए व्यवस्थित किया जाएगा. देश के नामचीन एक्सीलेंस सेंटर के रूप में इस सेंटर का भी विकास किया जाएगा लेकिन, पिछले 3 वर्षों से इस सेंटर में खिलाड़ियों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही है.
खेल विभाग का पूरा नियंत्रण होने पर भी है ये हालत: यह सेंटर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ झारखंड सरकार की ओर से संचालित की जाती है. खेल विभाग का पूरा नियंत्रण इस सेंटर पर है. इसके बावजूद इस सेंटर की हालत शुरुआती दौर से ही नहीं सुधारी गयी. इस सेंटर में 55 से अधिक प्रशिक्षु खिलाड़ी हैं, जिसमें बालक और बालिका शामिल हैं. इन बच्चों को सही डाइट भी नहीं मिल पाती है. इसके अलावा इन खिलाड़ियों को किट तो दूर एक हॉकी की गेंद भी मुहैया करवाई जाती है. साथ ही यहां मेडिकल की सुविधा भी नहीं है.
द्रोणाचार्य अवॉर्डी नरेंद्र सैनी हैं निराश:इस सेंटर के कोच द्रोणाचार्य अवॉर्डी नरेंद्र सैनी कहते हैं कि उन्हें इस सेंटर को निखारने के लिए नियुक्त किया गया था. कई वादे किए गए थे लेकिन, तमाम वादे खोखले साबित हो रहे हैं. खेल विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है. कई बार पत्राचार करने के बाद भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया. एक बार फिर वह इस पूरे मामले को लेकर एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं, जिसे जल्द ही वे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंपेंगे. द्रोणाचार्य अवॉर्डी नरेंद्र सैनी मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं लेकिन, उनकी कर्म भूमि झारखंड ही है. अपने जीवन के 22 साल से अधिक समय उन्होंने झारखंड में हॉकी और हॉकी खिलाड़ियों को निखारने में दिया है. झारखंड में बरियातू हॉकी सेंटर में भी उन्होंने सेवा दी है. वहां की हालत भी कमोबेस यही थी.
हॉकी स्टेडियम की हालत भी खराब: कुल मिलाकर कहे तो झारखंड सरकार द्वारा संचालित किसी भी हॉकी सेंटर की हालत ठीक नहीं है. यहां के खिलाड़ी बेहतर हैं लेकिन, सुविधाओं के अभाव में वह बेहतर नहीं कर पा रहे हैं. यहां तक की हॉकी स्टेडियम की हालत भी लंबे समय से खराब है, जिसे बदलने की प्रक्रिया अभी तक चल रही है. एक छोटे से ग्राउंड में बच्चे रोजाना प्रैक्टिस कर रहे हैं.