रांची: झारखंड में सामाजिक मुद्दे डायन बिसाही पर नागपुरी भाषा में बनी फिल्म नासूर को लोग खूब पसंद कर रहे हैं. डायन बिसाही को लेकर आए दिन झारखंड में घटनाएं होती रहती हैं. इन्हीं घटनाओं को केंद्र में रखकर नासूर फिल्म बनाई गई है. दर्शकों की डिमांड पर इस फिल्म को दूसरे हफ्ते भी पर्दे पर जारी रखा गया है.
दर्शकों के रिस्पॉन्स से फिल्म मेकर्स में उत्साह: बॉलीवुड फिल्मों का दबदबा होने के कारण क्षेत्रीय भाषा में बनी फिल्म को शुरू में स्क्रीन नहीं मिल रही थी. इसलिए एक ही स्क्रीन पर इस फिल्म को रिलीज किया गया. लेकिन नागपुरी दर्शकों की भीड़ ने फिल्म मेकर्स और कलाकारों का उत्साह बढ़ा दिया है. दर्शकों का इतना प्यार मिला की फिल्म के प्रदर्शन अवधि को सात दिनों के लिए बढ़ाया पड़ा. इस फिल्म को देखने का लोगों में इतना क्रेज है कि टिकट के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है. शुरुआती दिनों में लोगों को टिकट भी नहीं मिल रही थी. उन्हें मायूस होकर सिनेमा हॉल से वापस जना पड़ रहा था.
डायन प्रथा पर बनी है फिल्म: फिल्म के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर राजीव सिन्हा का कहना है कि नासूर मेरी दूसरी फिल्मों से थोड़ी अगल है. इस फिल्म में सामाजिक मुद्दे को उठाया गया है. राजीव का कहना है कि झारखंड में आज भी डायन कहकर लोगों को मार दिया जाता है. इसलिए इस सब्जेक्ट पर फिल्म बनाई गई है. फिल्म में प्रेम कहानी और बदले की आग के साथ-साथ मनोरंजन भी भरपूर है.
बेहतरीन एक्टिंग ने मोहा लोगों का मन: फिल्म में कलाकारों ने अपने किरदार को जबरदस्त तरीके से निभाया है. अभिनेता विवेक नायक ने लीड रोल किशन के रूप शानदार एक्टिंग की है. वहीं शिवानी गुप्ता ने रज्जो के रोल को जीवंत कर दिया है. विनय कुमार अंबष्ठ ने तांत्रिक के रूप में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है. वहीं चित्रा मुखर्जी, प्रकाश पाठक और सुखमर मुखर्जी ने भी अपने अभिनय से लोगों के दिल पर अपनी छाप छोड़ी है. पर्दे के पीछे भी राजीव सिन्हा के अलावा पंकज गोस्वामी, श्रीकांत इंदवार, उपेंद्र पाठक, प्रह्लाद, यूके नायर और मनोज प्रेमी ने बेहतरीन काम किया है.