रांची: कहते हैं राम सबके हैं, चाहे वो राजा हों या रंक. कुछ ऐसा ही नजारा राजधानी रांची में रामनवमी के दौरान आपको दिखाई पड़ेगा. इस बार भी धार्मिक बाध्यताओं से दूर भगवान राम का जन्मोत्सव मनाने के लिए अन्य धर्मावलंबियों द्वारा बढ़चढ़कर हिस्सा लिया जा रहा है.
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पंजाबी बिरादरी के अलावा इस साल मेन रोड में रामभक्तों का स्वागत करने के लिए मुस्लिम संगठन भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. ऐतिहासिक रामनवमी शोभायात्रा के दौरान नाचते गाते आ रहे रामभक्तों को पगड़ी, चादर और शरबत देकर स्वागत करते मुस्लिम समुदाय के लोग देखे जा रहे हैं. झारखंड तंजीम की ओर से रामभक्तों का स्वागत करने में जुटे शमशेर आलम का मानना है कि रामनवमी का त्योहार रांची का ऐतिहासिक त्योहार है, जिसमें कोई धार्मिक बाध्यता नहीं होती है. इस बार भी हमलोग हर वर्ष की भांति रामनवमी पर रामभक्तों का स्वागत कर रहे हैं.
मुहर्रम कमिटी और पंजाबी हिन्दू बिरादरी ने रामनवमी में बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा: रामनवमी शोभा यात्रा के दौरान धार्मिक बंदिशों को तोड़ते हुए सेंट्रल मुहर्रम कमिटी ने रामभक्तों का जमकर स्वागत किया. इस दौरान रामभक्तों को पगड़ी बांधकर लोग गले मिलते नजर आए और रामनवमी की बधाई दी. इसी तरह पंजाबी हिन्दू बिरादरी के कार्यकर्ताओं नें रामनवमी जुलूस में शामिल रामभक्तों को शरबत और चादर भेंट कर स्वागत किया. महाबीर मंडल के अध्यक्ष जयसिंह यादव ने इसे सांप्रदायिक सदभाव का प्रतीक मानते हुए कहा कि रांची का रामनवमी ऐतिहासिक रहा है. इस बार भी देर शाम तक रामभक्तों का हुजूम सड़कों पर दिखाई देगा.
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नेताओं ने भी निभाई भागीदारी: रामनवमी पर विभिन्न राजनीतिक दल के नेता भी भागीदारी निभाते नजर आए. रामभक्तों का स्वागत कर रहे राजद नेता कमलेश यादव ने कहा कि धार्मिक दीवारों को लांघते हुए रामभक्तों का स्वागत हर संप्रदाय के लोग कर रहे हैं. गौरतलब है कि रामनवमी के अवसर पर हर साल निकलने वाला शोभायात्रा ऐतिहासिक होता है, जिसमें हर वर्ग और समाज के लोग शामिल होते हैं, जिससे रांची की सड़कें राममय हो जाती हैं.