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स्मार्ट डस्टबिन की व्यवस्था फेल! कूड़े का उठाव ना होने से राजधानी की सड़कों पर पसरी गंदगी - डस्टबिन में सेंसर नहीं

रांची नगर निगम की ओर से लगाए गए स्मार्ट डस्टबिन की व्यवस्था फेल (smart dustbin system failed) होती नजर आ रही है. रांची में स्मार्ट तरीके से कूड़े का निष्पादन होना था. लेकिन कंपनी के उदासीन रवैये से राजधानी की सड़कों पर पसरे कचरे से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

Municipal Corporation smart dustbin system failed in Ranchi
रांची नगर निगम

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Published : Jul 15, 2022, 12:22 PM IST

रांची: राजधानी में नगर निगम के द्वारा शहर को साफ रखने के लिए नई नई तकनीक लाए जा रहे हैं. जिससे निगम क्षेत्र में रह रहे लोगों का जीवन यापन आसान हो सके. इसी को देखते हुए राजधानी में कूड़े के निष्पादन के लिए स्मार्ट डस्टबिन लगाए गए. लेकिन स्मार्ट डस्टबिन का लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा और सड़कों पर गंदगी पसरती जा (dustbin system failed in Ranchi) रही है.

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राजधानी के 211 जगहों पर कूड़े का निष्पादन करने के लिए स्मार्ट डस्टबिन लगाए गए. जिसमें यह सुविधा दी गई कि जैसे ही कूड़ेदान कचरे से भर जाएगा वैसे ही सफाईकर्मी वहां पहुंचकर कूड़ेदान को साफ कर देंगे ताकि राजधानी के लोग फिर से उसमें कूड़ा डाल सकें. लेकिन वास्तविक स्थिति कुछ अलग ही है, शहर में लगे तभी स्मार्ट भी बिना सेंसर के काम कर रहे हैं और उससे सही समय पर कूड़ा साफ भी नहीं हो (smart dustbin system failed) पा रहा है.

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रांची नगर निगम (Ranchi Municipal Corporation) की तरफ से शहर के विभिन्न जगहों पर स्मार्ट डस्टबिन लगाने का जिम्मा एक निजी कंपनी को दिया गया. जिसमें सेंसर मौजूद हो जिससे यह पता चले कि कूड़ादान कब भर रहा है इस स्मार्ट कूड़ेदान में कंपनी के द्वारा सेंसर बोर्ड लगाया जाता है जिसमें निगम के कंट्रोल रूम में बैठे कर्मियों को यह पता चल पाता है कि कंपनी के लोग कितने डस्टबिन से कूड़े का उठाव कर रहे हैं. वहीं कंट्रोल रूम में बैठे अधिकारियों को यह भी पता चल जाएगा कि कूड़ा दान कब भर रहा है और कितने देर में सफाई कर्मचारी को भेजकर कूड़ा खाली करवाना है.

लेकिन जिस कंपनी को निगम की ओर से सेंसर लगाने की जिम्मा दिया था उस कंपनी के द्वारा अभी तक एक भी स्मार्ट डस्टबिन में सेंसर नहीं लगाया गया है. जिस वजह से सभी स्मार्ट डस्टबिन साधारण डस्टबिन की तरह काम कर रहे हैं. सभी स्मार्ट बिन से कूड़े का उठाव समय पर नहीं हो पा रहा है. आए दिन स्मार्ट डस्टबिन से कूड़े का ढेर बाहर निकला हुआ दिखाई देता है जो सड़क तक पसरा रहता है. इस तरह की स्थिति से आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है.

स्थानीय लोगों ने बताया कि स्मार्ट डस्टबिन लगाने का शहरवासियों को कोई लाभ नहीं हो पाया है. क्योंकि आए दिन स्मार्ट डस्टबिन से निकलने वाले कूड़े की गंदगी से सड़क पर आने जाने वाले लोग परेशान हैं तो वहीं कूड़े के ढेर से दुर्गंध आती है. जिससे कई बीमारियों का खतरा भी रहता है. इसको लेकर नगर निगम के अधिकारी रजनीश कुमार ने बताया कि स्मार्ट बिन में सेंसर नहीं लग पाए हैं क्योंकि उसमें लगने वाला सेंसर बाहर के देशों से मंगाए जाते हैं. इंपोर्ट नहीं होने के कारण सेंसर अभी तक नहीं लग पाया है. उन्होंने ईटीवी भारत को आश्वस्त करते हुए कहा कि जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह तक सभी स्मार्ट बिन में सेंसर लग जाएंगे ताकि सार्वजनिक जगहों पर लगे गए स्मार्ट बिन से कूड़े का निष्पादन सही समय पर हो सके.

राजधानी के 211 जगह पर स्मार्ट डस्टबिन लगाए गए हैं जो बिना सेंसर के ही फिलहाल काम कर रहे हैं. नगर निगम की तरफ से चेन्नई की जोंटा (ZONTA) कंपनी को कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी दी गई है. लेकिन कंपनी की तरफ से उदासीन रवैया अपनाते हुए अभी तक किसी भी स्मार्ट बिन में सेंसर नहीं लगाए गए हैं, इस वजह से निगम को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हालांकि निगम के अधिकारियों ने कंपनी के पदाधिकारियों को हिदायत दी है कि जल्द से जल्द स्मार्ट बिन को सही तरीके से संचालित करें अन्यथा निगम की तरफ से कार्रवाई की जाएगी.

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