रांचीः झारखंड के सबसे बड़े ऐतिहासिक आदिवासी मुड़मा जतरा मेला की शुरुआत हो चुकी है. इस दो दिवसीय मेला की शुरुआत सोमवार को हई. रांची से लगभग 35 किलोमीटर दूर मांडर के मुड़मा में इस मेला का आयोजन होता है. मेला को लेकर प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं.
रांची के मांडर में मुड़मा जतरा मेला का आयोजन, आज होगा समापन
रांची के मांडर में धूमधाम से ऐतिहासिक मुड़मा जतरा मेला का आयोजन किया गया है. दो दिवसीय इस मेला का आज समापन होगा. मेला में आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है. Mudma Jatra fair organized in Mandar
Published : Oct 31, 2023, 12:48 PM IST
|Updated : Oct 31, 2023, 1:43 PM IST
मुड़मा जतरा मेलाःबता दें कि ऐतिहासिक मुड़मा जतरा मेला का आयोजन दशहरा के दसवें दिन होता है. इस बार 30-31 अक्टूबर को यह मेला आयोजित हो रहा है. इसमें झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़, ओडिशा, बंगाल समेत नेपाल से भी लोग आते है. जतरा मेला की शुरुआत राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने की. आदिवासी धर्म गुरू बंधन तिग्गा और 40 पड़हा राजाओं द्वारा शक्ति खूंटा की पूजा के साथ ही भव्य ऐतिहासिक मेला की शुरुआत हुई. आज (31 अक्टूबर) देर शाम मेला का भव्य समापन होगा. जिसमें राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री और अन्य गणमान्य लोग शामिल होंगे.
40 पड़हा के लोग करते हैं पूजाःजतरा मेला में 40 पड़हा के लोग अपने-अपने निशान के साथ नाचते-गाते पहुंचते हैं. शक्ति स्थल की पूजा करते हैं. इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है. मेले में आदिवासी और ग्रामीण संस्कृति से जुड़ी तमाम चीजे मिल रही हैं. खिलौने से लेकर घरेलू सामान यहां मौजूद हैं. मनोरंजन के लिए कई साधन हैं. सर्कस, झूला के साथ-साथ खाने पीने के सामान भी उपलब्ध हैं.
14 सौ साल पुराना है इतिहासमेले के पीछे ऐतिहासिक मान्यता है. जानकारों के अनुसार रोहतासगढ़ से लौटने के बाद इसी जगह पर मुंडा और उरांव जनजाति का मिलन हुआ था. दोनों के बीच यहां समझौता हुआ था. मेले का इतिहास 14 सौ साल पुराना है. सिंधु घाटी सभ्यता से इस जतरा मेला का संबंध बताया जाता है.