रांचीः झारखंड में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. इस समस्या से निपटने को लेकर राज्य सरकार ने हर जिले में एमटीसी यानि माल न्यूट्रीशन ट्रीटमेंट सेंटर खोला है, जहां कुपोषित बच्चे को रखकर पौष्टिक आहार दिया जाता है. इसके साथ ही एमटीसी में रहने वाले बच्चे के माता-पिता को भी मजदूरी क्षतिपूर्ति भुगतान की जाती है. कागज पर इतनी बेहतरीन देखने वाली योजना का धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. इसका खुलासा ईटीवी भारत कर रहा है.
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राजधानी रांची में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आवास से करीब 200 मीटर और महिला बाल विकास मंत्री जोबा मांझी के सरकारी आवास से महज 600 मीटर की दूरी पर कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए एमटीसी सेंटर है, जो पिछले 24 अप्रैल से लगातार बंद है.
एमटीसी नहीं पहुंच रहे कुपोषित बच्चे
दरअसल, दो विभागों की पेंच में कुपोषित बच्चों का इलाज प्रभावित हो रहा है. महिला एवं बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी का खामियाजा कुपोषित बच्चे भुगतने को मजबूर हैं. आंगनबाड़ी की सेविका, सहायिका और सीडीपीओ को जिम्मेवारी है कि समाज और ग्रामीण इलाके से कुपोषित बच्चों की पहचान कर एमटीसी पहुंचाएं.
24 अप्रैल से सेंटर हैं बंद
एमटीसी सेंटर में 3 नर्स कार्यरत हैं. इसमें दो नर्स कोरोना संक्रमित हुईं, तो भर्ती कुपोषित बच्चे के माता-पिता बिना इलाज कराए चले गए. इसके बाद 24 अप्रैल से सेंटर में ताला लटका है. अब स्थिति यह है कि तीन नर्स रोज आठ घंटे की ड्यूटी कर घर चली जाती हैं. सेंटर की इंचार्ज कहती हैं कि कुपोषित बच्चे पहुंचेंगे, तभी इलाज किया जाएगा. समाज से कुपोषित बच्चों को लाना सीडीपीओ और आंगनबाड़ी सेविका की जिम्मेदारी है.
शीघ्र किया जाएगा सेंटर चालू
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता कहते है कि कोरोना संक्रमण काल से स्वास्थ्यकर्मियों को आवश्यकतानुसार इधर-उधर किया गया, ताकि लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके. इससे एमटीसी बंद कर दिया गया. कोरोना नियंत्रित होते ही व्यवस्था पहले की तरह संचालित होने लगेंगी.