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आर-पार की लड़ाई में उतरे वित्त रहित शिक्षक, जानिए कैसा होगा आंदोलन

Unfunded education workers movement in Jharkhand. झारखंड में वित्त रहित शिक्षा कर्मियों का आंदोलन अब तेज हो रहा है. झारखंड राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक में 15 दिसंबर से आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया गया है.

Movement of unfunded education workers in Jharkhand
झारखंड में वित्त रहित शिक्षाकर्मियों का आंदोलन

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 11, 2023, 7:26 PM IST

Updated : Dec 11, 2023, 7:45 PM IST

झारखंड में वित्त रहित शिक्षक कर्मियों का आंदोलन

रांचीः टेट पास पारा शिक्षक के बाद अब राज्य के करीब 15 हजार वित्त रहित शिक्षा कर्मियों ने सरकार के विरुद्ध बिगुल फूंक दिया है. अपनी लंबित मांगों के समर्थन में राज्य के वित्त रहित शिक्षा कर्मियों ने झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान करो या मरो संघर्ष के तहत 15 दिसंबर से आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है.

सोमवार 11 दिसंबर को रांची में धुर्वा के सर्वोदय स्कूल प्रांगण में हुई झारखंड राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक में यह निर्णय लिया गया. मोर्चा के अध्यक्ष सुरेंद्र झा के नेतृत्व में हुई इस बैठक में 15 दिसंबर को भूख हड़ताल और 18 दिसंबर को सीएम को ज्ञापन सौंपकर 19 दिसंबर को विधानसभा के समक्ष आंदोलन पर बैठने का निर्णय लिया है. 20 और 21 दिसंबर को रांची स्थित सभी विधायकों के सरकारी आवास का घेराव करने का निर्णय झारखंड राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने लिया है.

झारखंड राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा की क्या हैं मांगः झारखंड राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा का मानना है कि मुख्यमंत्री के द्वारा सदन में आश्वासन दिया गया था कि राज्य के वित्त रहित शिक्षा से जुड़े कर्मियों को वेतनमान दिया जाएगा. इस संदर्भ में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के द्वारा 11 अक्टूबर 2021 को पत्र जारी कर कहा गया था कि वित्त रहित शिक्षा नीति समाप्त करने के लिए नियमावली बनाया जाएगा और उस आधार पर वित्त रहित कर्मचारियों की सेवा सरकारी संवर्ग में करके वेतनमान दिया जाएगा मगर सरकार उदासीन बनी हुई है.

इतना ही नहीं वित्त रहित शिक्षक संस्थानों का अनुदान राशि चौगुना किए जाने के प्रस्ताव पर पूर्ववर्ती शिक्षा मंत्री ने मंजूरी दी थी मगर 6 महीना से अधिक समय से शिक्षा सचिव कार्यालय में यह फाइल यूं ही पड़ा हुआ है. राज्य में 178 प्रस्वीकृत इंटर कॉलेज, 106 प्रस्वीकृत और 207 स्थापना अनुमति प्राप्त हाई स्कूल, 33 संस्कृत स्कूल और 46 मदरसा स्कूल हैं, जहां 3.50 लाख से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ते हैं. ऐसे में इन वित्त रहित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत कर्मी कभी अनुदान को लेकर तो कभी वेतनमान की मांग को लेकर सड़क पर आये दिन उतरते रहते हैं. सरकार आश्वासन का घूंट पिलाकर तत्काल प्यास बुझाने का काम जरूर करती है मगर यह जैसे ही खत्म होता है ये शिक्षककर्मी आंदोलन की राह पर चल पड़ते हैं. अब देखना होगा कि इस बार इनके द्वारा किया जा रहा आंदोलन कितना प्रभावी हो पाता है.

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Last Updated : Dec 11, 2023, 7:45 PM IST

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