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Strike of Health Workers in Jharkhand: 23 फरवरी से सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों का आंदोलन, सचिवालय से मुख्यमंत्री आवास तक घेरने की है तैयारी - रांची न्यूज

झारखंड में स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे है. कभी डॉक्टरों की हड़ताल तो कभी नर्सों की हड़ताल. अब तो सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी भी आंदोलन करने जा रहे हैं. ऐसे में मरीज को भगवान-भगवान ही करना पड़ेगा.

Movement of community health officials from 23 February in jharkhand
Movement of community health officials from 23 February in jharkhand

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Published : Feb 22, 2023, 3:44 PM IST

रांचीः झारखंड में स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों का लगातार अलग अलग मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन चल रहा है. एनएचएम के अनुबंधित कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल और सहियाओं के प्रदर्शन के बाद अब राज्य भर के सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने भी गुरुवार से रांची में प्रदर्शन करने की घोषणा की है.

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23 फरवरी को राज्य भर के सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी नेपाल हाउस स्थित सचिवालय का घेराव करेंगे. 24 फरवरी को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के डोरंडा स्थित आवास का घेराव और 25 फरवरी को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की घोषणा की है. झारखंड के 16 सौ से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में सेवा देने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में 23 जनवरी से आंदोलन की घोषणा की है.

झारखंड राज्य में हेल्थ के क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं को धरातल पर उतारने की जिम्मेवारी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर होती है. झारखंड सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी एसोसिएशन ने प्रेस रिलीज जारी कर आंदोलन की रूप रेखा को सार्वजनिक किया है. जनवरी महीने में ही राज्य भर के सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों एनएचएम के निदेशक का घेराव किया था. फिर 23 जनवरी से सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में ऑनलाइन एंट्री बंद है. 28 जनवरी 2023 को राज्यभर में सेवा दे रहे 1600 से अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने काला बिल्ला लगाकर प्रदर्शन किया था.

सेवा नियमितीकरण और काम की जवाबदेही तय करने की है मुख्य मांगःसामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों की मांग है कि उनकी सेवा नियमित की जाए, इसके साथ साथ असमय एनएचएम निदेशक द्वारा कराए जाने वाली ऑनलाइन मीटिंग बंद हो और सभी सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को लंबित इंसेंटिव दिया जाए. सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों का कहना है कि लंबित मांग 'सेवा स्थायीकरण' और 'तबादला' को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के परियोजना निदेशक का रुख नकारात्मक रहा है. जिस वजह से उन्हें आंदोलन के लिए विवश होना पड़ रहा है. फोन पर चाईबासा के सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी ने कहा कि राज्य के सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को अलग अलग तरह के अन्य कार्य भी कराए जाते हैं, फिर परफॉरमेंस खराब बताकर इंसेंटिव रोक दी जाती है. ऐसे में एक सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी को क्या क्या काम करना है, यह सुनिश्चित किया जाए.

सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को मिलने वाली इंसेंटिव भी बहुत सारे सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी का 12 -13 महीने से नहीं मिला है. आंदोलित सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों का आरोप है कि किसी न किसी तरह से परफॉर्मेंस खराब बताकर इंसेंटिव रोक दी जाती है. झारखंड सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी एसोसिएशन का कहना है कि हर विभाग में किसका, कौन सा काम है यह निर्धारित होता है लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को हर दिन नया- नया काम देकर टॉर्चर किया जाता है. अन्य विभागों के कर्मचारियों और पदाधिकारियों की तरह सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों की भी जॉब और रिस्पांसिबिलिटी तय कर दी जाए.

3 वर्ष के अनुबंध बांड पर हुई थी सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी की नियुक्तिः झारखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों की नियुक्ति रघुवर शासनकाल में 03 -03 वर्ष के अनुबंध पर हुई थी. उन्हें 25000 रुपये हर महीने फिक्स मानदेय और 15000 इंसेंटिव देने का प्रावधान बांड में है. आंदोलित और आक्रोशित सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों का आरोप है कि इस इंसेंटिव को लटकाने के पीछे भी घालमेल और भ्र्ष्टाचार है. राज्य भर के सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी के 23 फरवरी से शुरू होने वाले सचिवालय घेराव, मंत्री आवास और मुख्यमंत्री आवास घेराव का असर राज्य के दूरदराज के इलाकों में पड़ने वाले हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर पड़ेगा और स्वास्थ्य सेवाएं और खराब होगी.

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