रांची: मांडर विधायक बंधु तिर्की ने रिम्स प्रबंधन पर आरक्षण उल्लंघन का आरोप लगाया है. इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा. उन्होंने पत्र के माध्यम से रिम्स में होने वाली नियुक्तियों में अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के उल्लंघन और अनुसूचित जनजाति के चिकित्सकों को अपमानित करने के संबंध में जानकारी दी है.
विधायक तिर्की ने कहा कि रिम्स निदेशक प्रोफेसर दिनेश कुमार सिंह और प्रशासनिक पदाधिकारी दिवाकर सिंह के आने से लगातार आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है. रिम्स में निकलने वाली नियुक्तियों में लगातार आदिवासियों के लिए आरक्षित पद शून्य या बहुत कम करके प्रकाशित किए जा रहे हैं.
साथ ही उन्होंने कहा है कि वर्ष 2019 के मार्च महीने में 362 पदों पर ग्रेड ए नर्स के लिए दिए गए विज्ञापन में आदिवासियों के लिए एक भी पद नहीं आरक्षित किया गया. एसटी रिजर्वेशन पद शून्य कर दिया गया है. इस विषय पर रिम्स निदेशक यह तर्क दे रहे हैं कि अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सभी पद भर गए हैं.
साथ ही वर्ष 2019 के मार्च महीने में ही निकाले चतुर्थ वर्ग के वार्ड अटेंडेंट की बहाली में भी 119 पदों में सिर्फ 16 पद एसटी के लिए आरक्षित किया गए, जोकि 26% के आधार पर 31 पद आरक्षित होने चाहिए थे. उसी के तहत एससी को भी 12 की जगह सिर्फ 8 पद दिए गए, जबकि सामान्य वर्ग के लिए 75 और ईडब्ल्यूएस के लिए 12 पद रखे गए हैं.
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उन्होंने कहा कि रिम्स प्रशासन का कहना है कि वर्तमान में कार्यरत वार्ड अटेंडेंट एसटी, एससी, बीसी वन की संख्या अधिक होने के कारण कम पद दिए गए हैं, जबकि वर्तमान में इस पद पर कार्यरत लगभग सभी लोग या तो रिम्स के गठन के पहले के कार्यरत हैं या फिर अनुकंपा के आधार पर नियुक्त हैं.
ऐसे में रिम्स में इसके विपरीत समायोजित कर्मियों को जोड़कर रोस्टर बनाया गया है और आदिवासियों, दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग को नियुक्ति से वंचित करने का काम किया गया है. विधायक ने मुख्यमंत्री से इसकी जांच कराकर पहले की नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द करते हुए नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश देने का आग्रह किया है.