रांचीः झारखंड में महागठंबधन की सरकार ने राज्य के ओबीसी समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण की सीमा 14% से बढ़ाकर 27% करने तथा 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति (1932 Khatian Based Domicile) विधेयक को सदन के एक दिन के विशेष सत्र से पारित करा लिया. साथ ही इसे राज्यपाल के माध्यम से संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेजने का संकल्प लिया है. इस बीच इस पर राजनीति शुरू हो गई है. जहां मंत्री इसे उपलब्धि बता रहे हैं वहीं विपक्ष आई वाश करार दे रहा है.
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भारतीय जनता पार्टी के विधानसभा में सचेतक बिरंची नारायण ने कहा कि इस प्रक्रिया को पूरी होने में वर्षों लग जाएंगे और तो और यह नौवीं अनुसूची में शामिल होने से पहले ही रिजेक्ट हो जाएगा क्योंकि बिना सर्वे करा, कोई आधार बताए ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की बात कही जा रही है जबकि कर्नाटक ने पहले सर्वे कराया है उसके आधार पर ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के मामले को नौवीं अनुसूची में शामिल कराने का प्रस्ताव भेजा है.
सुनें क्या बोल गए आपके नेताजी भाजपा नेता और पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही ने कहा कि पूर्व में सर्वोच्च न्यायालय की पूर्ण बेंच ने फैसला दिया था कि नौवीं अनुसूची में शामिल विषयों की भी न्यायिक समीक्षा होगी.ऐसे में जिस कवच की बात सरकार कह रही है वह दिखावटी है.
आजसू नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने भी कहा कि सरकार ने सिर्फ पॉलिटिकल स्टंट किया है, जिसका लागू होना संभव नहीं लगता. क्योकि विधेयक में ही लिखा है कि नौवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद यह लागू होगा. ऐसे में यह कब लागू होगा यह कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि सिर्फ संकल्प लाकर इसे लागू कराया जा सकता था लेकिन सरकार ने सिर्फ अपने पॉलिटिकल एजेंडे के तहत दोनों विधेयक पारित कराए हैं.
सुदेश महतो ने कहा कि बिना डिबेट कराए और संशोधनों को स्वीकार किए जिस तरह से दोनों विधेयक पारित कराए गए,उससे साफ है कि सरकार अपने पहले से तय एजेंडे पर काम कर रही थी.
सुदेश महतो ने कहा कि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति में सिर्फ खतियान की बात नहीं है बल्कि और भी कई विंडो छोड़े गए हैं,जैसे ग्रामसभा. ऐसे में कोई भी बाहरी यहां का स्थानीय बनकर झारखंडवासियों के हकों की हकमारी कर सकता है. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा जब स्थानीय नीति लाया गया है तो स्थानीय नीति से जुड़ी नियोजन नीति क्यों नहीं लाई गई.
शिक्षामंत्री क्या बोल गएःविधानसभा से ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 14 % से 24% करने और 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति संबंधी विधेयक पारित किए जाने का उत्साह सत्ताधारी दलों के सभी विधायकों के चेहरे पर दिख रहा है. राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो तो इतने खुश हुए कि जुबान मर्यादा की सीमा ही लांघ गई और अमर्यादित टिप्पणी कर दी.
अलग अलग तरीके से दोनों विधेयकों को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे विपक्ष को लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा कि हिम्मत है तो विरोध करना चाहिए, यह कैसे होगा कि विपक्ष "मर्द भी बनेगा और हिजड़ा भी"
वहीं राजद, कांग्रेस और झामुमो के नेता- विधायक इसे गेम चेंजर बता रहे हैं, उनका कहना है कि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का जुड़ाव यहां के लोगों के दिल से जुड़ा है. ऐसे में इन दोनों विधेयकों के पारित होने से भाजपा आजसू जहां मुद्दाविहीन हो गईं हैं. वहीं राज्य की जनता और ओबीसी समाज का इस सरकार पर भरोसा बढ़ा है.
क्या कहा संसदीय कार्य मंत्रीःझारखंड विधानसभा से 1932 खतियान आधारित स्थानीयता और ओबीसी आरक्षण संबंधित बिल पास होने पर संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने खुशी व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि सदन में सभी पक्षों ने इसका समर्थन कर राज्य की जनता को सौगात दी है. विधानसभा में बिल पास होने के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए आलमगीर आलम ने कहा कि राज्य गठन के बाद से लोग स्थानीय नीति को लेकर लड़ रहे थे और समुचित स्थानीय नीति नहीं बन पाई थी. एक दो बार जब भी स्थानीय नीति बनाई गई तो हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया गया था.
ओबीसी आरक्षण भी 27 फीसदी हम लोगों को बिहार में मिल रहा था मगर झारखंड बनने के बाद 14% हो गया, उसकी भी लड़ाई यहां के लोग लड़ रहे थे. आज दोनों बिल को पारित होने के बाद खुशी हो रही है और हम लोग राज्यपाल के माध्यम से दोनों बिल को भारत सरकार के पास भेजेंगे. अब हम सभी लोगों का कर्तव्य है कि दिल्ली जाकर इस बिल को पास कराने का प्रयास करें, जिससे झारखंड की जनता को लाभ मिल सके. आज का दिन ऐतिहासिक दिन है.