रांची:कृषि बजट पर सरकार की तरफ से जवाब देते वक्त सदन में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की चौतरफा घेराबंदी हुई. कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने तो सीधे-सीधे कृषि मंत्री पर भ्रष्ट अफसरों को बचाने तक का आरोप लगा दिया. एक पल के लिए कृषि मंत्री अवाक रह गए. बंधु तिर्की ने कहा कि कृषि मंत्री जी अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं, यह अच्छी बात है. लेकिन उनको यह भी बताना चाहिए कि वह झारखंड राज्य विपणन पर्षद में सेवारत सुनीता चौरसिया और राहुल कुमार जैसे भ्रष्ट अफसरों को क्यों बचा रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के सपोर्ट की वजह से राज्य सरकार की बदनामी हो रही है. बंधु तिर्की ने यहां तक कह दिया कि अगर इन भ्रष्ट अफसरों पर कृषि मंत्री कार्रवाई नहीं करेंगे तो वह धरने पर बैठ जाएंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के कहने के बाद भी इन अफसरों पर कार्रवाई नहीं हो रही है. जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस मामले को देखेंगे और संबंधित पदाधिकारियों पर कार्रवाई जरूर होगी.
इसके बाद कृषि मंत्री ने कृषि बजट पर कटौती प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में आए माननीयों के सुझाव और सवालों का सिलसिलेवार जवाब दिया. कृषि मंत्री ने कहा कि आज की तारीख तक पिछले 2 वर्षों में 3,80,150 किसानों के 50,000 तक के लोन माफ हुए हैं. अब तक ऋण माफी मद में 1516 करोड़ 76 हजार दिए जा चुके हैं. जीएसडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान साल 2019-20 में 10.9% था जो अब 14.5% हो गया है. आईएफएससी कोड बदलने की वजह से 30,267 किसानों का ऋण भुगतान लंबित है. इस बीच सरकार के जवाब पर आपत्ति जताते हुए मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायक सदन से वाकआउट कर गए. कृषि मंत्री ने कहा कि पूर्व की सरकार ने 5 साल में 47231 गाय का वितरण किया. इसमें से 15199 गाय देवघर जिले में वितरित की गई क्योंकि इसी जिले से तत्कालीन कृषि मंत्री थे.
किसानों के मसले पर जबरदस्त घेराबंदी: कृषि बजट पर चर्चा के दौरान मंत्री बादल पत्रलेख को सत्ताधारी दल के विधायकों ने भी घेरा. प्रदीप यादव ने कहा कि खलिहान में जब धान जल जाता है तो उसके क्षतिपूर्ति नहीं मिलती, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए. मथुरा महतो ने भी इसी बात का जिक्र किया. झामुमो विधायक भूषण तिर्की ने तो यहां तक कह दिया कि उनके क्षेत्र के किसान कहते हैं कि ऋण माफ हुआ ही नहीं है.
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वहीं, सरयू राय ने कृषि बजट की तारीफ की लेकिन उन्होंने पूछा कि सरकार को बताना चाहिए कि खाद्यान्न उत्पादन में राज्य आत्मनिर्भर हुआ है कि नहीं. यहां अनाज की खपत कितनी है. यहां कुपोषण इतना क्यों है. झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने भी तालझारी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि यहां बिजली तार की वजह से किसान के धान की फसल बर्बाद हो गई लेकिन उसे कुछ नहीं मिला.
खिजरी से कांग्रेस विधायक राजेश कश्यप ने कहा कि उनके क्षेत्र में ओलावृष्टि के कारण फसल प्रभावित हुआ है. कई मवेशी भी मर गए हैं. ऊपर से बैंक वाले एनपीए होने पर नोटिस पर नोटिस दे रहे हैं. इरफान अंसारी ने भी कहा कि उनके इलाके में ज्यादातर गरीब किसानों का लोन माफ नहीं हुआ है. वाक आउट से पहले भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने कृषि मंत्री से पूछा कि उन्होंने पिछले बजट के दौरान भरोसा दिलाया था कि उनकी सरकार किसानों के 2 लाख तक का लोन माफ करेगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. कटौती प्रस्ताव लाने वाले भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि इस विभाग का आलम यह है कि पिछले साल के बजट की सिर्फ 40% राशि ही खर्च हो पाई है. कृषि की 29 योजनाओं पर अब तक काम शुरू नहीं हुआ है. कृषि मंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार हर प्रखंड में मॉडल कृषि विद्यालय खोलेगी लेकिन हुआ कुछ नहीं. सरकार ने सब्जी पर भी एमएसपी तय करने की बात कही थी लेकिन हुआ कुछ नहीं.
चौतरफा घेराबंदी के बाद मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि उनकी सरकार किसान को कभी वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल नहीं करती है. तमाम सुझावों पर अमल होगा और कमियां दूर की जाएंगी. उन्होंने कहा कि उनके विभाग ने आउटकम पर फोकस करते हुए बजट रिपोर्ट तैयार किया है. आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि क्षेत्र का ग्रोथ 26% रहा है. इसके बाद ध्वनिमत से कृषि विभाग का बजट पारित हो गया.