मनरेगा कर्मियों की मांगों को लेकर मंत्री आलमगीर आलम का बयान रांची: वर्ष 2007 से रोजगार गारंटी योजना "मनरेगा" में सेवा दे रहे राज्यभर के करीब 5600 मनरेगा कर्मी अपनी मांगों के समर्थन में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम का आवास घेरने रांची पहुंचे थे. चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा के अनुसार आज मंत्री आवास घेरने पहुंचे मनरेगाकर्मियों के बीच जाकर ग्रामीण विकास मंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने उनकी मांगों की जानकारी ली और आश्वासन दिया कि सरकार मनरेगाकर्मियों की मांग पर सकारात्मक सोच रखती है.
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मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि जल्द ही झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों और मनरेगा आयुक्त के साथ बैठक की जायेगी. आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार दो राज्यों राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में मनरेगा मजदूरों को मिल रही सुविधाओं की भी जानकारी लेगी. उन्होंने कहा कि मनरेगा मजदूरों को भी जल्द ही सामाजिक सुरक्षा योजना से जोड़ा जायेगा. राज्य की वर्तमान सरकार के दौरान ही मनरेगा कर्मियों का मानदेय बढ़ाया गया और आगे भी सरकार उनकी बेहतरी के लिए काम करेगी.
"आगे की रणनीति पर जल्द लेंगे फैसला": ग्रामीण विकास मंत्री से वार्ता के बाद संघ के अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने कहा कि विभागीय मंत्री ने उनकी मांगों को लेकर सकारात्मक बात कही है. ऐसे में आगे के लिए आंदोलन की क्या रणनीति होगी, इस पर संघ के पदाधिकारी मिल बैठकर जल्द फैसला लेंगे.
ये हैं मनरेगाकर्मियों की मुख्य मांगें:
- राजस्थान और हिमाचल की तरह झारखंड के मनरेगा कर्मियों की सेवा नियमित हो.
- जब तक सरकार सेवा नियमित नहीं करती, तब तक श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा वेतन निर्धारित कर 10 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का प्रावधान किया जाये.
- राज्य के 4500 से अधिक रोजगार सेवकों को सामाजिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सुरक्षा बीमा का लाभ मिले.
- अधिकारियों द्वारा मनरेगा कर्मियों की अनावश्यक बर्खास्तगी पर रोक लगायी जाये. पूर्व में बेवजह बर्खास्त किये गये रोजगार सेवकों की सेवा बहाल की जाये.
- झारखंड सरकार में रिक्त पदों पर बहाली के समय रोजगार सेवकों को उम्र सीमा में छूट दी जाये.
- सरकार को महिला रोजगार सेवकों एवं अन्य महिला मनरेगा कर्मियों को सवैतनिक मातृत्व अवकाश का लाभ दे.
- मनरेगा कर्मियों का ईपीएफ 2018 से ही काटा जाए ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे.
- मनरेगा कर्मियों को बायोमीट्रिक उपस्थिति की अनिवार्यता से छूट दी जाए.
- मनरेगा कार्यों का सोशल ऑडिट ग्राम सभा द्वारा चयनित लोगों द्वारा ही कराया जाए.
- मनरेगा कर्मियों की सेवा स्थानीय ब्लॉक स्तर तक ही सीमित की जाए.