रांचीः प्रदेश के सरायकेला खरसावां जिले में आदिवासियों के धार्मिक स्थान के पास माइनिंग लीज मामले में विपक्षी सदस्यों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाए है. मंगलवार को विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा के चंपई सोरेन ने सरायकेला-खरसावां जिला के एक इलाके में पहाड़ी पर माइनिंग लीज पर देने के मुद्दे पर सवाल उठाए हैं.
आदिवासियों की धार्मिक जगह पर हो रहे माइनिंग सोरेन ने कहा कि आसपास आदिवासियों के धार्मिक अनुष्ठान कि जगह है. नियम यह है कि शेड्यूल एरिया में ट्राइबल और कॉरपोरेट घराने को खनन का अधिकार नहीं दिया जा सकता है. खनन करने की स्थिति में या तो सरकार खुद माइनिंग करें या ट्राइबल की सोसायटी बनाकर यह काम करवा सकती है. उन्होंने कहा कि सरायकेला खरसावां के धोलाडीह, छोटाबाना और बड़ाबना इलाके में 12.174 एकड़ जमीन फर्जी ग्राम सभा कर कंपनी को माइनिंग के लिए दे दी गई है.
ये भी पढ़ें-आदिवासी रैयत की जमीन पर सरकार का कब्जा, परिवार को बेदखल कर बना दिया अस्पताल
मामले को फर्जी बताते हुए कांग्रेस के सुखदेव भगत ने कहा कि सरकार ने फर्जी ग्राम सभा करके माइनिंग लीज का आवंटन किया गया है. मामले में अपना पक्ष रखते हुए सरकार के प्रभारी मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि सरकार के पास ग्राम सभा का निर्णय है. माइनिंग लीज देने से पहले 25 अप्रैल 2016 को इलाके में ग्राम सभा और बाकायदा लोगों ने इस पर हस्ताक्षर किए गए है.
इस वाद विवाद के बीच मंत्री सीपी सिंह ने स्पीकर के पाले में गेंद फेंकते हुए कहा कि मामले में जो भी स्पीकर का निर्देश होगा उसे सरकार मानेगी. स्पीकर ने इस पर संज्ञान लेते हुए साफ शब्दों में कहा कि इस मामले की जांच विभागीय सचिव करेंगे और जब तक यह जांच चलेगी तब तक माइनिंग का काम बंद रहेगा.