रांची: सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज केस में दायर जनहित याचिका पर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की खंडपीठ में हुई सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने ऑनलाइन पक्ष रखते हुए कहा कि इस तरह की एक याचिका शिव शंकर शर्मा की ओर से भी पूर्व में दायर की गई थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. ऐसे में इस याचिका में कुछ नया नहीं है, जिस पर अदालत में सुनवाई की जा सके.
Jharkhand News: सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज आवंटन मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, जानिए कपिल सिब्बल ने कैसे किया सीएम का बचाव
झारखंड हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज केस में सुनवाई हुई. जिसमें सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने ऑनलाइन पक्ष रखा. वहीं प्रार्थी सुनील महतो की ओर से अधिवक्ता विशाल कुमार ने अपनी बात रखी. कोर्ट ने प्रार्थी को सप्लीमेंट्री एफिडेविट दाखिल करने का आदेश दिया है.
Published : Sep 6, 2023, 6:21 PM IST
कोर्ट ने अगली सुनवाई 11 अक्टूबर मुकर्रर कीः वहीं प्रार्थी सुनील महतो की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता विशाल कुमार ने कोर्ट से आग्रह किया कि यह मामला शिव शंकर शर्मा की याचिका से अलग है और यह किस तरह से अलग है इसका वह ब्योरा देना चाहते हैं. इस पर कोर्ट ने प्रार्थी को सप्लीमेंट्री एफिडेविट दाखिल करने को कहा है. प्रार्थी सुनील महतो ने जानकारी देते हुए कहा कि इस मामले में अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को निर्धारित की गई है.
खनन लीज आवंटन मामला रहा है सुर्खियों मेंःसीएम हेमंत सोरेन से जुड़ा लीज आवंटन मामला सुर्खियों में रहा है. इस मामले में सुनील महतो ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि खान विभाग के मंत्री रहते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा अपने और अपने रिश्तेदार के नाम से अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर माइनिंग लीज का आवंटन लिया है. दाखिली याचिका में सुनील महतो ने हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन और उनकी बहन सरल मुर्मू की कंपनी सोहराय लाइव स्टॉक प्राइवेट लिमिटेड के नाम चान्हो के बरहे औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ जमीन आवंटित किए जाने का आरोप लगाया है.
गौरतलब है कि इस मामले में सुनील महतो ने चुनाव आयोग को भी चिट्ठी भेजी थी और बीजेपी के द्वारा पिछले साल प्रमुखता से इस मुद्दा को उठाते हुए राजभवन से गुहार लगाते हुए कार्रवाई की मांग की गई थी.जिसके बाद राजभवन ने चुनाव आयोग से रिपोर्ट मांगा था.चुनाव आयोग के द्वारा सुनवाई के बाद बंद लिफाफा में राजभवन को रिपोर्ट भेजी गई थी, जिसपर से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है.