रांची:लंबे समय से पारा शिक्षक झारखंड में वेतनमान और स्थायीकरण की मांग को लेकर आंदोलनरत रहे हैं. राज्य के 65000 पारा शिक्षकों ने अपनी इन्हीं मांगों को लेकर सड़क से सदन तक आंदोलन किया है. पूर्व में रघुवर सरकार के समय आंदोलन के दौरान पारा शिक्षकों के ऊपर लाठीचार्ज भी किया गया था. इसी कड़ी में बुधवार को पारा शिक्षकों की समस्याओं को लेकर पारा शिक्षकों के प्रतिनिधियों के साथ एक विशेष बैठक की गई.
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बैठक में शिक्षा सचिव राजेश कुमार शर्मा समेत विभागीय कई पदाधिकारी शामिल हुए. पहले भी सरकार में शामिल झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने पारा शिक्षकों की समस्या के समाधान का आश्वासन और घोषणा अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी किया था और लगातार इसी का हवाला देते हुए पारा शिक्षक हेमंत सरकार पर दबाव बनाते आ रहे हैं.
बिहार मॉडल अपनाने पर सहमति
पारा शिक्षकों के साथ शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की कई चरणों में बैठक भी हो चुकी है. बुधवार को भी पारा शिक्षकों के साथ शिक्षा मंत्री की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई. इस बैठक के दौरान शिक्षा सचिव राजेश शर्मा, प्राथमिक शिक्षा निदेशक शैलेश चौरसिया, सर्व शिक्षा अभियान के प्रसाशी पदाधिकारी जयंत मिश्रा समेत विभागीय स्तर के कई पदाधिकारी शामिल हुए. पारा शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की घंटों चली बातचीत के दौरान बिहार मॉडल अपनाने पर सहमति बनी है. बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों के साथ बेहतर वातावरण में बातचीत हुई है कि बिहार मॉडल को ही अपनाया जाएगा, लेकिन मानदेय को लेकर फिलहाल कुछ तय नहीं हुआ है. 1 हफ्ते के अंदर बिहार सरकार की नियमावली का आंकलन करते हुए झारखंड में भी नियमावली तैयार की जाएगी. पारा शिक्षकों की सहमति बनने पर बिहार के तर्ज पर झारखंड में भी नियमावली को लागू कर दिया जाएगा. शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि पारा शिक्षकों के साथ बैठक आशाजनक रही है. वहीं, शिक्षा मंत्री के आवास के बाहर कुछ पारा शिक्षकों ने जमकर हंगामा भी किया. उनकी मानें तो आज ही नियमावली बन जानी चाहिए. 1 सप्ताह का इंतजार करने को तैयार नहीं है.
शिक्षा मंत्री के आवास के बाहर जुटी भीड़ क्या है बिहार का मॉडल?दरअसल, बिहार में शिक्षामित्र यानी पारा शिक्षकों को एक आंकलन परीक्षा के तहत समायोजित किया गया है. इनमें जो पारा शिक्षक आंकलन परीक्षा में सफल हुए हैं, उन पारा शिक्षकों को बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में समायोजित कर लिया गया है. जो पारा शिक्षक असफल हुए हैं, उन्हें इस प्रक्रिया से हटा दिया गया है. झारखंड में भी इस मॉडल को अपनाने की कवायद की गई है और पारा शिक्षकों के लिए आंकलन परीक्षा आयोजित करने पर विचार हुआ है. आंकलन परीक्षा में जो पारा शिक्षक सफल होंगे, उन्हें वेतनमान और स्थाई किया जाएगा. इसके अलावा जो पारा शिक्षक असफल भी होंगे, उन्हें मानदेय दिया जाएगा. वैसे पारा शिक्षकों को झारखंड सरकार की ओर से हटाए जाने का प्रावधान नहीं है. शिक्षा मंत्री के आवास के बाहर जुटी भीड़इस बैठक के दौरान पारा शिक्षकों की काफी भीड़ शिक्षा मंत्री के आवास के बाहर जुटी. पारा शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि अगर बिहार के तर्ज पर उन्हें समायोजित सरकार की ओर से नहीं किया जाता है और आंकलन परीक्षा नहीं होती, तो यह आंदोलन जारी रहेगा. हालांकि बैठक सफलतापूर्वक आयोजित हुई और इस बैठक में पारा शिक्षकों की मांगों को ही मान लिया गया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या एक बार फिर पारा शिक्षकों को विभागीय स्तर पर बरगलाया जाता है या फिर उनकी शर्तों पर अमल करते हुए बिहार के तर्ज पर ही नियमावली बनाई जाती है. फिलहाल जो प्रतिनिधि शिक्षा मंत्री के साथ बैठक कर रहे थे, उनकी ओर से निर्णय को मानने को अभी भी पारा शिक्षक तैयार नहीं हुई है. इसे भी पढ़ें-अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों के लंबित मानदेय भुगतान का रास्ता साफ, राज्य परियोजना परिषद ने मांगी रिपोर्ट
क्या बोले ऋषिकेश पाठक?
इस दौरान पारा शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य ऋषिकेश पाठक ने कहा कि बातचीत से वह संतुष्ट हैं, लेकिन जो वादा शिक्षा मंत्री कर रहे हैं, उस वादे को जल्द से जल्द पूरा करें. तभी पारा शिक्षकों का कल्याण होगा. हालांकि मानदेय को लेकर अभी भी पेच फंसा हुआ है. आशा है कि तमाम चीजों को शिक्षा विभाग क्लियर करेगी. हालांकि पारा शिक्षकों के एक गुट इस बैठक से संतुष्ट नहीं दिखे.