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दीपावाली में पटाखों के तेज आवाज और धुएं से करें छोटे बच्चों का बचाव, जानिए क्या सलाह दे रहे चिकित्सक

झारखंड में दीपावली को लेकर लोगों का उत्साह चरम पर है. दीपावली में आतिशबाजी जमकर होती है, लेकिन आतिशबाजी से प्रदूषण होता है तेज आवाज और धुएं से बच्चों को नुकसान होता है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट से जानिए, पटाखों से छोटे बच्चों के बचाव के लिए क्या सलाह देते हैं चिकित्सक.

Medical advice to protect children from smoke noise of Diwali fireworks in Jharkhand
रांची

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Published : Oct 23, 2022, 8:21 AM IST

Updated : Oct 23, 2022, 10:02 AM IST

रांची: झारखंड में दीपावली की चारों ओर धूम नजर आ रही है. दीपावली में आतिशबाजी को लेकर जमकर पटाखों की खरीदारी हो रही है. लेकिन पटाखों की तेज आवाज और धुआं से वातावरण प्रदूषित होता है, साथ ही पटाखों से धुआं जनित बीमारी छोटे बच्चों में अक्सर काफी तेजी से फैलती है. इनसे छोटे बच्चों का बचाव करना बेदह जरूरी है क्योंकि उनके कोमल अंगों को इससे खासा नुकसान भी होता है.

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कहते हैं किसी भी पर्व को परिवार के साथ मनाने में ही मजा आता है और जब दीवाली जैसा पर्व हो तो परिवार का साथ और भी जरूरी होता है. लेकिन पर्व की वजह से परिवार के छोटे बच्चे आहत हों या फिर उन्हें कोई नुकसान पहुंचे तो पूरा त्योहार फीका पड़ जाता है. दीपावली परिवार के छोटे बच्चों के लिए उत्साह और उमंग जरूर लाती है. लेकिन इस उमंग के पीछे कई दिक्कतें भी होती हैं जो बच्चों के अभिभावक नजरअंदाज करते हैं, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना भी पड़ता है. दीपावली में पटाखों की तेज आवाज और धुएं से बच्चे के दिमाग और उनके लंग्स पर सीधा असर पड़ता है. वरिष्ठ चिकित्सक डॉ एके झा बताते हैं दीपावली में धुएं का लेवल अत्यधिक हो जाता है जो इंसान को सीधा नुकसान पहुंचाता है. खास कर नवजात और छोटे बच्चों में इसका काफी डर बना रहता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

डॉ. एके झा बताते हैं कि अत्यधिक धुएं से बच्चों के लंग्स खराब हो सकते हैं और इससे आने वाले समय में बच्चे को अस्थमा की बीमारी हो सकती है. वहीं तेज आवाज को लेकर डॉ. एके झा बताते हैं कि कई बार अचानक तेज आवाज होने की वजह से इसका असर दिमाग पर पड़ता है. वहीं ज्यादा आवाज वाले पटाखों को छोड़ने से बच्चों के कान भी खराब हो सकते हैं क्योंकि बच्चों के कान नाजुक होते हैं.

छोटे बच्चों को ग्रीन पटाखे जलाने की सलाहः डॉक्टर्स बताते हैं कि आतिशबाजी की वजह से वातावरण में फैले केमिकल और धुएं की वजह से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. इससे हृदय गति घटती बढ़ती रहती है और पल्स रेट में भी उतार-चढ़ाव होता है. वहीं नवजात के दिमाग पर सीधा असर डालता है. वहीं नवजात बच्चे को धुएं की वजह से एलर्जी का भी खतरा बना रहता है. शिशु रोग विशेषज्ञों की मानें तो बच्चों के लिए मात्र 50 डेसिबल से अधिक आवाज के पटाखे उपयोग में नहीं लाने चाहिए. अगर 50 डेसिबल से अधिक आवाज के पटाखे बच्चों के द्वारा उपयोग किए जाते हैं तो उनके सुनने की क्षमता कम होती है. वहीं उससे निकलने वाले धुएं के कारण बच्चे में चिड़चिड़ापन और भूख ना लगने की शिकायत भी देखने को मिलती है.

दीपावली में पटाखों और धुएं से बच्चों को बचने के उपाय

वहीं बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए स्कूलों में भी जानकारी दी जा रही है. दीपावली के मौके पर अपना उत्साह जाहिर करते हुए छोटी बच्ची अनन्या कुमारी बताती हैं कि उनके शिक्षक ने उन्हें यह सिखाया है कि इस वर्ष वह अपने दोस्तों और परिवार के साथ इको फ्रेंडली पटाखे ही जलाएं. अनन्या कहती हैं कि इन पटाखों से हमारे आसपास रहने वाले जंगली जानवर और पेड़ पौधों को भी किसी तरह का कोई नुकसान नही हो.

दीपावली में पटाखों और धुएं से बचने के उपायः आतिशबाजी के दौरान रुई में सरसों के तेल लगाकर कान में लगाएं. तेज आवाज वाले पटाखों से परहेज करें. बच्चों को पूरा शरीर पर सूती का कपड़ा पहनाएं, जिसमें उनका हाथ पैर और शरीर का सारे हिस्से ढके हों. दीपावली के समय में जब आसपास तेज आवाज के पटाखे के आवाज और वातावरण में धुएं फैलने लगे तो अपने घर के दरवाजे और खिड़की को बंद कर दें ताकि बच्चे उस वातावरण के संपर्क में ना आ सके. वहीं तेज आवाज या फिर धोने के कारण बच्चे में किसी भी तरह की समस्या हो तो शिशु रोग विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करें.

Last Updated : Oct 23, 2022, 10:02 AM IST

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