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स्वास्थ्य मंत्री ने की MDA अभियान की शुरुआत, 2030 तक फाइलेरिया मुक्त झारखंड बनाने का लक्ष्य

झारखंड में फाइलेरिया और कालाजार के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के लिए अभियान की शुरुआत की गई (Filaria eradication campaign in Jharkhand). जिसे फाइलेरिया के ज्यादा मरीज वाले 07 जिलों से शुरू किया गया. यह अभियान 15 दिनों तक चलेगा. इसके अलावा कालाजार के लिए एक केंपेन भी लांच किया.

Filaria Awareness Campaign
Filaria Awareness Campaign

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Published : Dec 2, 2022, 10:58 AM IST

Updated : Dec 2, 2022, 11:12 AM IST

रांची: झारखंड में वेक्टर जनित बीमारी फाइलेरिया के 50 हजार से अधिक मरीज हैं. वहीं राज्य के चार जिले पाकुड़, दुमका, साहिबगंज और गोड्डा में अभी भी कालाजार के मरीज हैं. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने फाइलेरिया के ज्यादा मरीज वाले 07 जिलों में MDA (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन), IDA (इंटेग्रेटेड ड्रग एडमिस्ट्रेशन) की शुरुआत की (Filaria eradication campaign in Jharkhand). साथ ही फाइलेरिया और कालाजार के लिए कम्युनिकेबल कैंपेन भी लॉन्च किया. जिसमें प्रख्यात अभिनेता मनोज वाजपेयी लोगों को फाइलेरिया और कालाजार के प्रति जागरूक करते नजर आए.

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2030 तक फाइलेरिया मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य: स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि मक्खी- मच्छर से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है. थोड़ी सी सावधानी और सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही दवाओं के समय समय पर उपयोग से फाइलेरिया और कालाजार पर विजय पाया जा सकता है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि झारखंड जहां जल्द ही कालाजार मुक्त प्रदेश बन जायेगा. वहीं 2030 तक राज्य फाइलेरिया मुक्त भी बनेगा.

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अभियान 15 दिनों तक चलेगा: फाइलेरिया उन्मूलन के लिए शुरू हुआ अभियान मास ड्रग एडमिस्ट्रेशन (IDA) के तहत अगले 15 दिनों तक राज्य के 07 जिलों में चलेगा. जिसमें गोड्डा, दुमका, चतरा, लातेहार, जामताड़ा, सराईकेला खरसावां और पलामू में MDA की जगह IDA (इंटेग्रेटेड ड्रग एडमिस्ट्रेशन) अभियान चलाया जाएगा. जिसके तहत ग्रासरूट लेवल पर लोगों को फाइलेरिया से बचाने के लिए DEC टेबलेट्स, एल्बेंडाजोल के अलावा आइवरमेक्टिन की दवा खिलाई जाएगी. 2019 में सिमडेगा में ऐसा अभियान चला था: भारत में अब तक नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज रहे फाइलेरिया, को लेकर अब केंद्र और राज्य की सरकार अलर्ट हुई है. इसी क्रम में 2019 में सिमडेगा जिले में दो दवा एल्बेंडाजोल और DEC की जगह ज्यादा प्रभावशाली 3 ड्रग्स एडमिस्ट्रेशन को चलाया गया. जिसमें ivermectin भी शामिल है. अब राज्य के 07 जिलों में यह अभियान शुरू हो गया है. वहीं हाथीपांव ग्रस्त रोगियों को विशेष एक्सरसाइज के साथ साथ हर वर्ष पांच सौ रुपये सरकार खर्च करती है. जिससे उनके लिए दवा बाल्टी आदि की व्यवस्था हो सके. इनको नहीं खानी है दवा: गर्भवती स्त्रियों, 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, एक सप्ताह पूर्व मां बनी महिलाएं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को IDA के तहत आइवरमेक्टिन टेबलेट्स और DEC की दवा नहीं लेनी है. किसे और कितनी दवा लेनी है- 01 से 02 वर्ष के बच्चों को सिर्फ कृमिनाशक एल्बेंडाजोल की आधी गोली लेनी है.- 02 से पांच वर्ष के बच्चों को DEC की 01 टेबलेट और कृमिनाशक एल्बेंडाजोल की एक गोली लेनी है.- 06 वर्ष 14 वर्ष के किशोर के लिए DEC के 02 टेबलेट्स और एल्बेंडाजोल का 1 टेबलेट खाना है.- इसी तरह 15 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों को DEC का 3 टेबलेट्स और एल्बेंडाजोल का 01 टेबलेट खाना है. - ध्यान यह रखना है कि खाली पेट ये दवा न ली जाए.- वहीं आइवर मेक्टिन की गोली व्यक्ति के लंबाई पर तय की गई है.- 90 सेंटीमीटर से 119 सेंटीमीटर तक के स्वस्थ व्यक्ति के लिए 01 टेबलेट, 120 सेंटीमीटर से 139 सेंटीमीटर तक के व्यक्ति के लिए 02 टेबलेट्स और 140 cm से अधिक की लंबाई वाले व्यक्ति को 03 या 04 टेबलेट एक बार लेना है.
Last Updated : Dec 2, 2022, 11:12 AM IST

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